मणिमहेश आपदा को लेकर विपक्ष ने सरकार पर आंकड़ों को छिपाने और राहत कार्यों में लापरवाही बरतने के गंभीर आरोप लगाए हैं। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने विधानसभा में कहा कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री द्वारा मणिमहेश यात्रा में फंसे श्रद्धालुओं को लेकर दिए गए आंकड़े आपस में मेल नहीं खाते। 28 अगस्त को जब विपक्ष ने 10,000 से अधिक लोगों के फंसे होने की बात सदन में उठाई, तो उपमुख्यमंत्री ने इसे झूठा बताया, जबकि अब मुख्यमंत्री स्वयं 15,000 लोगों के प्रभावित होने की बात स्वीकार कर रहे हैं। जयराम ठाकुर ने दावा किया कि सरकार की राहत व्यवस्थाएं जमीनी स्तर पर नाकाम रहीं, श्रद्धालुओं ने मीडिया के सामने खुद सरकार के दावों की पोल खोली है। लोगों को न तो पर्याप्त सुविधा मिली और न ही उचित परिवहन की व्यवस्था की गई, जिससे उन्हें 40-40 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने वायुसेना से मदद की कोई औपचारिक मांग नहीं की और श्रद्धालुओं को निजी हेलीकॉप्टर सेवाओं पर निर्भर रहना पड़ा, जिनमें यात्रियों से 75,000 रुपये तक की वसूली हुई। वहीं, फ्री बस सेवा के सरकारी दावों के उलट, श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्हें सामान्य से अधिक किराया देना पड़ा। जयराम ठाकुर ने सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि श्रद्धालु ही सरकार के “फैक्ट चेक” बन गए हैं और सच्चाई को सामने ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि आपदा के समय मुख्यमंत्री राज्य से बाहर चुनावी दौरे पर थे, जबकि राज्य में लोग संकट में थे। विपक्ष ने मांग की है कि सरकार आपदा के चलते प्रभावित क्षेत्रों में बहाल नहीं हुई यातायात और संचार व्यवस्था को देखते हुए लोक सेवा आयोग की काउंसलिंग, परीक्षाओं और सरकारी नियुक्तियों की तिथियों को आगे बढ़ाए। साथ ही उन्होंने भरमौर क्षेत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां 500 से अधिक लोग अभी भी पैदल बाहर निकलने से इनकार कर रहे हैं और स्थानीय विधायक जनक राज व डीएस ठाकुर मौके पर राहत कार्यों में जुटे हैं। जयराम ठाकुर ने अंत में सरकार से राहत कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने और तथ्य छिपाने से बचने की अपील की।