September 21, 2025

सरकारी प्रयास सफल, बच्चों को मिला सहारा

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हिमाचल प्रदेश सरकार के सतत प्रयासों से राज्य के अनाथ बच्चों (Children of the State) को अब सुरक्षित और प्रेमपूर्ण परिवार मिल रहे हैं। हाल ही में शिशु गृह टूटीकंडी, शिमला में दो बच्चों को दत्तक दिलवाने की प्रक्रिया पूरी की गई। ये दोनों बच्चे क्रमशः उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के दंपतियों द्वारा गोद लिए गए। यह पूरी प्रक्रिया उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप की देखरेख में संपन्न हुई।

सरकारी प्रयासों के सकारात्मक परिणामस्वरूप 20 दिसंबर 2022 से 1 सितंबर 2025 तक कुल 21 बच्चों को गोद दिलवाई जा चुकी है। यह संख्या इस बात का प्रमाण है कि सरकारी नीति और सामाजिक सहभागिता मिलकर बच्चों के जीवन को नई दिशा दे रहे हैं।

उपायुक्त अनुपम कश्यप ने समाज के सक्षम वर्ग से अपील की है कि वे शिशु गृहों और बाल-बालिका आश्रमों में रह रहे बच्चों को अपनाने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा कि यह कदम बच्चों के उज्ज्वल और सुरक्षित भविष्य की नींव रख सकता है।

इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी ममता पॉल ने जानकारी दी कि बच्चों को दत्तक दिलवाने की प्रक्रिया पूरी तरह से मेरिट आधारित होती है। केवल उन्हीं अभिभावकों को यह अवसर मिलता है, जो वैधानिक शर्तों और प्रक्रियाओं को पूरा करते हैं।

भारत में भारतीय नागरिकों के अलावा एनआरआई और विदेशी नागरिक भी बच्चा गोद ले सकते हैं, बशर्ते वे CARA (Central Adoption Resource Authority) द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करें।

गोद लेने के लिए कुछ मुख्य शर्तें निम्नलिखित हैं:

  • विवाहित जोड़े की शादी को कम से कम 2 वर्ष पूर्ण होना चाहिए।

  • माता-पिता को कोई गंभीर या जानलेवा बीमारी नहीं होनी चाहिए।

  • दत्तक बच्चे और गोद लेने वाले के बीच कम से कम 25 वर्ष का आयु अंतर होना चाहिए।

  • आर्थिक स्थिति मजबूत और स्थिर होनी चाहिए।

  • महिलाएं लड़का या लड़की, दोनों में से किसी को भी गोद ले सकती हैं।

  • पुरुष केवल लड़का गोद ले सकते हैं।

  • विवाहित जोड़े किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकते हैं।

आवश्यक दस्तावेज

गोद लेने की प्रक्रिया के लिए निम्नलिखित दस्तावेज आवश्यक होते हैं:

  • दंपत्ति की हालिया फोटो

  • पैन कार्ड

  • जन्म तिथि प्रमाणपत्र

  • आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट या अन्य वैध पहचान पत्र

  • आयकर रिटर्न (ITR)

  • सरकारी अस्पताल से जारी मेडिकल सर्टिफिकेट

  • विवाह या तलाक प्रमाण पत्र

  • अगर पहले से बच्चा है (5 वर्ष से ऊपर), तो उसकी सहमति

  • दो व्यक्तियों के समर्थन पत्र

गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया (CARA के तहत)

  1. पंजीकरण — CARA पोर्टल या अधिकृत एजेंसी से

  2. होम स्टडी रिपोर्ट (HSR) — सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा परिवार की समीक्षा

  3. संदर्भ और स्वीकृति — बच्चे की जानकारी प्राप्त कर स्वीकार करना

  4. पूर्व-देखभाल अवधि — गोद लेने से पहले बच्चे को कुछ समय के लिए अपने पास रखना

  5. दस्तावेज सत्यापन और अंतिम कानूनी प्रक्रिया

  6. फॉलोअप — गोद लेने के बाद दो वर्षों तक हर छह महीने में निगरान

शुल्क विवरण

  • होम स्टडी रिपोर्ट शुल्क: ₹6,000

  • गोद लेने के बाद एजेंसी शुल्क: ₹50,000

हिमाचल प्रदेश सरकार की यह मानवतावादी पहल राज्य के अनाथ बच्चों के जीवन में नई आशा और स्थायित्व ला रही है। यह न सिर्फ बच्चों के पुनर्वास की दिशा में एक सशक्त कदम है, बल्कि समाज को भी अपनी जिम्मेदारी निभाने का अवसर प्रदान करता है। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सामाजिक सहयोग और भागीदारी आवश्यक है।

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