राजा वीरभद्र सिंह फाउंडेशन के अध्यक्ष और प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने घोषणा की है कि पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय राजा वीरभद्र सिंह की जयंती के अवसर पर 23 जून को शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में उनकी प्रतिमा का अनावरण एक भव्य एवं ऐतिहासिक समारोह के रूप में किया जाएगा। इस अवसर को ऐतिहासिक बनाने के लिए प्रदेश सरकार के साथ-साथ फाउंडेशन भी सक्रिय भूमिका निभाएगी।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि चूंकि यह एक आधिकारिक सरकारी आयोजन है, फिर भी राजा वीरभद्र सिंह फाउंडेशन इससे भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है और इसकी भव्यता सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव सहयोग करेगा। यह समारोह प्रदेश की राजनीतिक और सामाजिक विरासत के प्रति जनसम्मान को व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम बनेगा।
इस समारोह में हिमाचल प्रदेश सहित अन्य राज्यों से वीरभद्र सिंह के समर्थकों को आमंत्रित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेताओं को भी आमंत्रण भेजा जाएगा। समारोह में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल के सभी सदस्य, विधायक, पूर्व विधायक, विपक्षी दलों के नेता और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शामिल होंगे।
फाउंडेशन की शिमला में हुई पहली आम सभा की अध्यक्षता करते हुए विक्रमादित्य सिंह ने मुख्यमंत्री सुक्खू और राज्य सरकार का आभार प्रकट किया, जिन्होंने जनभावनाओं का सम्मान करते हुए वीरभद्र सिंह की प्रतिमा को रिज मैदान में स्थापित करने की स्वीकृति दी। उन्होंने इसके लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व—मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, राजीव शुक्ला और रजनी पाटिल—का भी आभार जताया।
विक्रमादित्य सिंह ने स्पष्ट किया कि राजा वीरभद्र सिंह फाउंडेशन एक गैर-राजनीतिक मंच है, जो वीरभद्र सिंह की विरासत और विचारों को जनकल्याण, युवाओं के विकास और सामाजिक दायित्वों के क्षेत्र में आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा, “वीरभद्र सिंह राजनीति से कहीं अधिक एक विचार और प्रेरणा थे। वे आज भी लाखों लोगों के आदर्श बने हुए हैं।”
बैठक के दौरान 23 जून को प्रस्तावित प्रतिमा अनावरण समारोह की तैयारियों पर विस्तार से चर्चा की गई। यह निर्णय लिया गया कि 15 जून को फाउंडेशन की एक और महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें विभिन्न आयोजनों से संबंधित समितियों का गठन किया जाएगा तथा कार्यक्रम के अतिथि सत्कार, मंच व्यवस्था, जनसंपर्क व अन्य प्रबंधों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
विक्रमादित्य सिंह ने अंत में कहा कि यह समारोह वीरभद्र सिंह की स्मृति को चिरस्थायी बनाने और आने वाली पीढ़ियों के लिए उन्हें प्रेरणास्रोत के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।