कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज शिमला के बचत भवन में एक भव्य जिला स्तरीय समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें उपायुक्त अनुपम कश्यप, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी, अतिरिक्त उपायुक्त अभिषेक वर्मा और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर सैनिकों को पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी स्मृति को नमन करते हुए की गई। उपायुक्त ने घोषणा की कि जिले के जिन स्कूलों को अधिकारियों ने स्कूल एडॉप्शन प्रोग्राम के तहत गोद लिया है, वहां कारगिल युद्ध में भाग ले चुके भूतपूर्व सैनिकों को आमंत्रित किया जाएगा, ताकि वे अपने अनुभव छात्रों से साझा कर उन्हें देशभक्ति की प्रेरणा दे सकें। उन्होंने यह भी बताया कि एनकॉर्ड की बैठक में भी इन सैनिकों को शामिल किया जाएगा, जिससे युवा वर्ग को नशे जैसी सामाजिक बुराइयों से दूर रखकर उनकी ऊर्जा को राष्ट्रनिर्माण में लगाया जा सके।
उपायुक्त कश्यप ने बताया कि कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों में लगभग 20 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश से थे और प्रदेश के जवानों ने विपरीत परिस्थितियों में भी पीछे हटना नहीं सीखा। हिमाचल को वीरभूमि कहना इसी त्याग और शौर्य का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि सैनिकों का मनोबल और अनुशासन हम सभी के लिए प्रेरणा है, और हर व्यक्ति को खुद को जीवन की चुनौतियों के लिए मजबूत बनाना चाहिए। समारोह में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजीव गांधी ने कहा कि राष्ट्र प्रथम की भावना सैनिकों की वजह से ही हमारे अंदर जीवित है। अभिषेक वर्मा ने कहा कि देशभक्ति की भावना बच्चों में पैदा करने में अभिभावकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, वहीं एडीएम ज्योति राणा ने सैनिक परिवारों के सम्मान की आवश्यकता पर बल दिया।
इस अवसर पर जिला शिमला से संबंधित सात भूतपूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया, जिनमें दिवाकर दत्त शर्मा, राम लाल शर्मा, वेद प्रकाश शर्मा, राम लाल, प्रवीण और जय सिंह शामिल रहे। कार्यक्रम में स्काई हाई ड्रीम संस्था की अध्यक्ष शालिनी शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए, जबकि सहायक लोक संपर्क अधिकारी अजय बन्याल ने शहीद बेटे पर मार्मिक कविता प्रस्तुत की। सूचना एवं जन संपर्क विभाग के कलाकारों ने देशभक्ति गीतों के माध्यम से शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
उप निदेशक सैनिक कल्याण अतुल चम्बियाल ने स्वागत भाषण दिया और सहायक आयुक्त देवी चंद ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में एसडीएम शिमला ग्रामीण मंजीत शर्मा, तहसीलदार अपूर्व सहित कई अधिकारी, कर्मचारी और पूर्व सैनिक उपस्थित रहे।
समारोह का भावनात्मक पक्ष तब और प्रबल हो गया जब कारगिल युद्ध में भाग ले चुके पूर्व सैनिकों ने अपने अनुभव साझा किए। सूबेदार मेजर दिवाकर दत्त शर्मा ने बताया कि जब युद्ध शुरू हुआ तो वे छुट्टी पर थे, लेकिन सेना का पत्र मिलते ही वे तुरंत कारगिल के लिए रवाना हो गए। उन्होंने माइनस 30 से 40 डिग्री की ठंड में पहाड़ी इलाकों में दुश्मन पर पीछे से हमला करने की रणनीति को साझा किया और कहा कि उनका एकमात्र लक्ष्य ‘देश प्रथम’ था। उनके भाई सूबेदार मेजर राम लाल शर्मा ने बताया कि एक साथी की शहादत से यूनिट का हौसला डगमगाया, लेकिन फिर सभी ने मिलकर बदला लेने का संकल्प लिया और विजय प्राप्त की। वहीं नायक प्रवीण ने द्रास सेक्टर की दुर्दांत परिस्थितियों का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे तीन महीनों तक बिना स्नान किए, बर्फ खाकर प्यास बुझाते हुए और गोलियों की बारिश के बीच उन्होंने डटे रहकर दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर किया। युद्ध के बाद जब वे संजौली पहुंचे तो लोगों ने उनका बैंड-बाजे के साथ स्वागत किया, जो उनके लिए जीवन भर की सबसे बड़ी उपलब्धि रहा।
यह समारोह केवल शहीदों को श्रद्धांजलि ही नहीं था, बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का संदेश भी था कि देशभक्ति केवल एक भावना नहीं, बल्कि कर्म और समर्पण का जीवन मंत्र है।