भारत सरकार के ‘महिला एवं बाल विकास विभाग के अंर्तगत मिशन शक्ति (संकल्प योजना) के तहत 1 अगस्त को शिमला में सामाजिक सहभागिता कार्यक्रम के तहत महिलाओं व बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया गया। इसकी जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी शिमला ममता पॉल ने दी। उन्होंने बताया कि 29 जुलाई से 2 अगस्त तक चले इस साप्ताहिक कार्यक्रम के तहत शिमला जिला के विभिन्न विकास खंडों में आंगनवाडी कार्यकर्ताओं व पर्यवेक्षकों, स्कूल व कॉलेज के छात्रों तथा छात्राओं व महिलाओं को मिशन शक्ति के तहत चल रही विभिन्न योजनाओं जैसे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, लैंगिक समानता, घरेलू हिंसा, पीसीपीएनडीटी एक्ट, पोक्सो एक्ट, सखी निवास, (पालना) कामकाजी महिला आवास के तहत किए जाने वाली गतिविधियों की जानकारी प्रदान की गई। 16 सप्ताह तक चलने वाले सौ दिवसीय इस जागरूकता कार्यकम में महिलाओं व बच्चों को उपरोक्त योजनाओं के तहत जागरूक किया जा रहा है।
इस कड़ी में गुरुवार 1 अगस्त को शिमला में जिला कार्यकम अधिकारी शिमला ममता पॉल ने बताया कि सामाजिक सहभागिता कार्यक्रम (एसआईपी) का उद्देश्य छात्रों को सामाजिक-आर्थिक वास्तविकताओं से जोड़कर उन्हें सूचित करना और सशक्त बनाना है ताकि वे महत्त्वपूर्ण प्रश्न उठा सकें। उन्होने जमीनी सर से जुडे कार्यकताओं को निर्देश दिए कि आंगनवाडी स्तर पर समुदाय के साथ समन्वय स्थापित कर उन्हे बच्चों के उत्थान हेतु व आंगनवाडी केंद्रों को सक्षम हेतु सहभागिता के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास करें।
आंगनवाडी केंद्रों में सूदाय सहभागिता द्वारा प्रदान की गई सामग्री के लिए समुदाय के धनयवादी रहें। उन्होने बताया कि इसकी शुरुआत 1996 में शिक्षा को सामाजिक रूप से अधिक प्रासंगिक बनाने के उद्देश्य से हुई थी। छात्रों को भारतीय समाज के साथ सीधे जुड़ाव के माध्यम से सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। छात्र सड़क और झुग्गी-झोपड़ियों के बच्चों, शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों, अनाथों, घरेलू कामगारों, अस्पताल के मरीजों और वरिष्ठ नागरिकों के साथ काम करते हैं। उन्होने बताया कि प्रदेश सरकार ने भी मेरा स्कूल मेरा गौरव अभियान शुरू किया है जिसका उदेश्य शिक्षा में सामुदायिक सहभागिता को बढ़ावा देना है। इसमें अपनी पसन्द के स्कूल में बच्चों को गोद लेकर विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना है।
कार्यक्रम में महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जिसमें पर्यवेक्षक नर्वदा शर्मा व 58 आंगनवाडी कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। इस दौरान मिशन शक्ति के तहत चल रही विभिन्न स्कीमों जैसे बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, लैंगिक समानता, घरेलू हिंसा, पॉक्सो एक्ट, पीसी पीएनडीटी एक्ट, सखी निवास, (पालना) कामकाजी महिला आवास के तहत किए जाने वाली गतिविधियों की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। इसमें जिला मिशन शक्ति (हब) की टीम ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, सखी निवास, (पांलना) कामकाजी महिला आवास पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गई।
इसके अलावा लैंगिक समानता पर बताया कि महिलाओं और पुरुषों में समानता कैसे लाई जा सकती है और कैसे महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक रहकर समाज की मुख्यधारा में जुडकर समाज को सशक्त बनाना है। मिशन शक्ति (हब) की टीम व बाल विकास परियोजना अधिकारी शिमला स्नेह लता नेगी ने घरेलू हिंसा, पोस्को एक्ट, पीसी पीएनडीटी एक्ट के तहत महिलाओं को किस तरह की सुविधाएं प्रदान की जाती है तथा भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ममता पॉल ने बताया कि मिशन शक्ति के अन्तर्गत भारत सरकार के 100 दिवसीय (स्पेशल एवेयरनेस डाइव) विशेष जागरूकता कार्यक्रम 21 जून से 4 अक्तूबर तक शिमला जिला के विभिन्न विकास खंडों में आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 6 सप्ताह तक चलने वाले इस कार्यकम में मिशन शक्ति कार्यक्रम में पंजीकरण सप्ताह, महिलाओं से संबंधित कानूनी परामर्श, सामाजिक सहभागिता कार्यकम 29 जुलाई से 2 अगस्त, लिंग संवेदनशीलता 5 से 9 अगस्त बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ 12 अगस्त 16 तक, विभिन्न विभागों के साथ योजनाओं का पंजीकरण और 19 से 23 अगस्त 26 से 30 अगस्त तक कैरियर काउंसिलिंग कार्यकम आयोजित किए जाएंगे।