सटीक पंजीकरण से सुशासन मजबूत होगा: उपायुक्त

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उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने कहा कि जन्म और मृत्यु जैसी घटनाओं का सटीक पंजीकरण सुशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि इन घटनाओं का सही रिकॉर्ड रखना न केवल सरकारी योजनाओं और नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए आवश्यक है, बल्कि नागरिकों को भी भविष्य में किसी प्रशासनिक असुविधा से बचाता है।

उपायुक्त अनुपम कश्यप आज यहां जन्म और मृत्यु पंजीकरण के शत-प्रतिशत लक्ष्य को सुनिश्चित करने के लिए आयोजित अंतरविभागीय समन्वय समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में जिला के सभी खंड विकास अधिकारी तथा जमीनी स्तर पर जुड़े कर्मचारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित रहे।

उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं, फिर भी कुछ क्षेत्रों में रिपोर्टिंग समय पर नहीं हो रही है, जो चिंता का विषय है। उपायुक्त ने स्पष्ट निर्देश दिए कि पंजीकरण में किसी भी प्रकार की देरी या लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी और इस संबंध में शिकायत मिलने पर संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

उपायुक्त ने नागरिकों से आग्रह किया कि वे विवाह के बाद निर्धारित समयावधि में विवाह पंजीकरण भी सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि देरी की स्थिति में प्रक्रिया लंबी और जटिल हो जाती है, जिससे समय और धन दोनों की हानि होती है। उपायुक्त ने लोगों से अपील की कि वे अपने आसपास के लोगों को भी समय पर विवाह पंजीकरण करने के लिए प्रेरित करें।

बैठक में बताया गया कि प्रदेश में सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (CRS) के माध्यम से 1 जुलाई 2015 से सभी अस्पतालों में ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध है। वर्ष 2025 में कुल 569 पंजीकरण इकाइयाँ कार्यरत हैं। यदि किसी व्यक्ति को 2015 से पहले का डिजिटल प्रमाणपत्र चाहिए, तो वह भी इसी पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकता है।

21 दिनों के भीतर जन्म या मृत्यु का पंजीकरण निशुल्क है। 21 से 30 दिन के बीच पंजीकरण कराने पर ₹20, 30 दिन से अधिक पर ₹50 और एक वर्ष से अधिक विलंब पर ₹100 शुल्क लिया जाएगा। देरी की स्थिति में संबंधित अधिकारी की स्वीकृति और आवश्यक दस्तावेज भी अनिवार्य होंगे।

अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि जन्म प्रमाणपत्र केवल जन्म रजिस्टर के आधार पर ही जारी किए जाएं। परिवार रजिस्टर के आधार पर जारी प्रमाणपत्र अब मान्य नहीं होंगे। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि सभी प्रमाणपत्र सरकार द्वारा स्वीकृत फॉर्मेट में ही जारी किए जाएं।

पंजीकरण में देरी पाए जाने पर संबंधित अधिकारी पर ₹1000 प्रति विलंबित पंजीकरण के हिसाब से जुर्माना लगाया जाएगा।

बैठक में यह भी बताया गया कि शिमला ग्रामीण, ठियोग, चौपाल, नेरवा, कोटखाई, टिक्कर, रामपुर और डोडरा क्वार की 18 पंचायतों को “जीरो रिपोर्टिंग रूरल रजिस्ट्रेशन यूनिट” के रूप में चिन्हित किया गया है। उपायुक्त ने इन इकाइयों को जल्द से जल्द लंबित पंजीकरण पूरे करने और आगे से नियमित रिपोर्टिंग सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

Shimla Jail Inmates Learn Skills for Self-Reliance

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