हिमाचल प्रदेश सरकार की मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना, जो वर्ष 2023 में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की पहल पर शुरू की गई थी, आज प्रदेश के हजारों अनाथ, अर्ध-अनाथ, जरूरतमंद बच्चों और निराश्रित महिलाओं के लिए जीवन में संबल और सम्मान का प्रतीक बन गई है।
अब तक 4,100 से अधिक बच्चों को “चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट” के रूप में गोद लेकर सरकार उनकी परवरिश, शिक्षा, और समग्र विकास की जिम्मेदारी उठा रही है। योजना के तहत बच्चों को आयु के अनुसार मासिक वित्तीय सहायता, निशुल्क उच्च शिक्षा, छात्रावास सुविधा, स्टार्टअप/स्वरोजगार सहायता, गृह निर्माण अनुदान और विवाह सहायता जैसे समग्र सहयोग दिए जा रहे हैं।
रामपुर तहसील के नितिन कपाटिया, माता-पिता के निधन के बाद बेघर हो गए थे। मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना से उन्हें ₹4,000 मासिक सहायता और ₹2 लाख की गृह निर्माण राशि मिली, जिससे उनका खुद का घर बना। नितिन आज आत्मसम्मान के साथ जीवन जी रहे हैं। वे कहते हैं, “इस योजना ने मुझे जीने का सहारा और आगे बढ़ने की शक्ति दी है।”
तहसील ननखड़ी की शिवानी, जो बचपन में माता-पिता को खो चुकी थीं, अपने नाना-नानी के साथ रहती थीं। मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत ₹1.50 लाख की सहायता से अब उनका खुद का घर है। शिवानी कहती हैं, “यह योजना हमारे जैसे बच्चों के लिए उम्मीद की किरण है।”
2023-24 में 3,730 बच्चों पर ₹7.86 करोड़, 2024-25 में 4,409 बच्चों पर ₹16.25 करोड़, और 2025-26 में अब तक 4,112 बच्चों पर ₹17.34 करोड़ व्यय किए जा चुके हैं। गृह निर्माण सहायता के अंतर्गत प्रदेश में अब तक 390 लाभार्थियों को ₹4.08 करोड़ वितरित किए गए हैं। जिला शिमला में 19 लाभार्थी लाभान्वित हुए हैं।
उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप ने योजना की सराहना करते हुए कहा, “यह केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि एक सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन की ओर उठाया गया मानवतावादी कदम है।”