December 22, 2024

Tag: आड़ी तिरछी

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लकीरें: एक कविता

डॉ. कमल के. प्यासाखड़ी पड़ी,आड़ी तिरछी,टेढ़ी मेढ़ी,आधी अधूरी,इधर उधर,यहां वहां,कहीं भी हों लकीरें। लकीरें,बांटती हैं,काटती हैं,तोड़ती (मिटाती),फोड़ती (गंवाती),दरारें डालती हैं!लकीरें कलम की, तलवार की,...