February 22, 2025

Tag: उल्कापात

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उल्कापात कमांए: एक कविता

डॉ. जय महलवाल (अनजान)बड्डिया मेहनता ने डाल बूटे लगाए, फेरी किस मांहनूए रिए सोचे से जलाए, मारी ते जले पंछी पेखेरू, तिना रे  जे...

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