December 23, 2024

Tag: वातावरणीय समस्याएं

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पीपल फॉर हिमालय : सामुदायिक एवं सांविदानिक समाधान

हिमालयी राज्यों और देश के 50 से अधिक अलगअलग सामाजिक पर्यावरण संगठनों ने मिल कर ‘पीपल फॉर हिमालय’ अभियान का घोषणा पत्र जारी किया! पिछले साल 2023 की शुरुआत उत्तराखंड के जोशीमठ में भयानक भूमि धंसाव से हुयी और इसके बाद जुलाई अगस्त में हिमाचल में आपदाओं का सिलसिला चला, फिर अक्टूबर में पूर्वी हिमालय में तीस्ता नदी में बाढ़ त्रासदी हुयी.2024 में समय से बर्फ नहीं पड़ी और लगभग पूरा ही हिमालयी क्षेत्र सूखे की चपेट में रहा जिनके प्रभाव गर्मियों में नज़र आएंगे. बड़ी आपदाओं के वक्त मीडिया में हिमालय से खबरें छाई रहती हैं पर फिर ये गौण हो जाती हैं जबकि आपदाओं के प्रभाव और इनसे निपटने से जुड़े सवाल पहाड़ी समाज के सामने लगातार खड़े हैं. इसी संकट के चलते पिछले हफ्ते 27-28 फरवरी को इन पहाड़ी राज्यों के कुछ संगठनों के प्रतिनिधियों ने 'हिमालय, डिसास्टर एंड पीपुल' - इस विषय पर मिलकर दो दिवसीय चर्चा का जिसमें ‘पीपल फॉर हिमालय’ अभियान की घोषणा की गयी.दो दिवसीय बैठक में शामिल क्लाईमेट वैज्ञानिकों ने भयावह घटनाओं जैसे हिमनद झीलों का फटना, बाढ़ और भूस्खलन के साथ साथ  बढती गति से तापमान में वृद्धि, बारिश की प्रवृत्ति में बदलाव, बर्फबारी में गिरावट और ग्लेशियरों के लगातार पिघलने से धीरे-धीरे हिमालयी पारिस्थितकी और इस पर निर्भर समाज की आजीविकाएं.पीपल फॉर हिमालय : सामुदायिक एवं सांविदानिक समाधान