
राजकीय महाविद्यालय पनारसा में हिमाचल भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला मण्डी द्वारा आयोजित दस दिवसीय (11 नवंबर से 21 नवंबर 2024) टांकरी लिपि प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं में प्रिया ठाकुर ने जालपा माता रा कुंड (बालू) , हिना ठाकुर ने भमसोई न प्रकट हुआ शिवलिंग, चारु ने सारे देशा ना फैलू नशा, म्हारे ज्वालापुरे रा नजारा, अदिती ठाकुर ने ग्रांऊए री मान्यता, योगेश्वर ने वोऊ वांका बालु, जेलपा, देऊ काली नाग रा मन्दिर, रेशमा ने आसरे कुल्ज देऊ नरसिम्हा सा, प्रिय ने लोकगीत ठेबे गुरा, गुनगुन ने शारदा स्तोत्र नमस्ते शारदे देवी काश्मीर पुर वासिनी, मार्कण्डेय ऋषि, लोक गीत धूपे नी बेशणा जेठा बोला षाड़ा रे, म्हारा थलौट, गीतांजली ने थलौट रा नजारा, आरती ने मंडी री सुन्दरता, मेरे हिमाचले री शान, प्रेरणा ने देव श्री काली नाग, गुर, भंडारी, जाग, जांच (मेला),समसर, कल्पना ने देव बरनाग, सुहानी ने देव बरनाग वणासारी, माधव ने मेर गांव सोझा, कुसमा देवी ने हिमाचली लोक कथा चतुर बहु, अंकित ने मेरा गांव पनाऊ, दिव्य ने जालपा माता बालू,यशु ने मेरा गांव रैंस आराध्य देव चंडोही गणेश, निशा ने जय लक्ष्मी नारायण, नगमा ने देशज शब्द उपरोक्त शीर्षको के अंतर्गत शिक्षार्थियों ने अपनी स्थानीय भाषा-बोली, हिंदी तथा टांकरी लिपि व देवनागरी लिपि में स्याही और लेखनी का भी प्रयोग कर के लेख लिखे। टांकरी लिपि शिक्षक पारुल अरोड़ा ने शिक्षार्थियों को हिमाचल प्रदेश की प्रमुख साहित्यक पत्र-पत्रिकाओं, साहित्य की जानकारी भी दी तथा लेखों को विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भेजने के लिए प्रेरित भी किया। शिक्षक ने विपाशा, हिम भारती , हिमप्रस्थ, गिरिराज, सोमसी, इतिहास दिवाकर, मधुमति, शीराजा पत्रिकाओं के अंक शिक्षार्थियों की रुचि अनुसार उन्हें भेंट किए। जिला भाषा अधिकारी श्रीमती प्रोमिला गुलेरिया ने शिक्षार्थियों के कार्य की सराहना की तथा भविष्य में भी टांकरी लिपि के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रयासरत रहने की बात कही। काश्मीर की शारदा लिपि से ही हिमाचल प्रदेश की टांकरी लिपि का उद्गम हुआ है।