राजेश शर्मा, कीक्ली रिपोर्टर, 5 जुलाई, 2016, शिमला
छात्राओं को कैंसर के कारण, लक्षण व रोकथाम पर भी दी जानकारी राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पोर्टमोर शिमला में कारडिफ विश्वविद्यालय वेल्स, ब्रिटेन से पहुंचे मेडिकल शोधकर्ताओं ने स्कूल की सभी छात्राओं को कैंसर रोग के कारण, लक्षण व रोकथाम के बारे में विस्तार से जानकारी दी। शोधकर्ताओं का कहना है कि कैंसर रोग के लक्षण का पता प्रथम अवस्था में लग जाए तो इसका इलाज संभव है। डाक्टरों के मुताबिक प्रारंभिक स्टेज में कैंसर का पता चले तो 90 फीसदी मरीज स्वस्थ हो सकते हैं और उनका उपचार संभव है। इसके लिए जागरूकता अहम है।
इस दौरान डाक्टरों ने छात्राओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि भारत में मुंह के कैंसर के रोगियों की संख्या संसार में सबसे ज्यादा है। इसका कारण यहां के लोगों द्वारा अधिक मात्रा में तम्बाकू चबाना व पान का सेवन करना है तथा धूम्रपान सेवन करने की अपेक्षा पैसिव समोकिंग के लोग इस बीमारी की चपेट में ज्यादा प्रभावित होते है। प्रधानाचार्य निशा भलूनी ने शोधकर्ताओं का आभार प्रकट किया और सभी छात्राओं से यह जानकारी अपने घरों व आस-पड़ोस के लोगों के साथ सांझा करने के लिए कहा। इस अवसर पर विद्यालय की प्रधानाचार्य गीतांजलि कश्यप, अनुराधा करवाल, रमा नेगी, हेमलता, अर्चना व वनिता आदि मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल में कैंसर के मरीजों में लगातार इजाफ ा हो रहा है। प्रदेश में हर साल करीब दो हजार लोग लोग कैंसर के चलते अकाल मौत का शिकार हो रहे हैं। हैरानी की बात है कि मरीजों में सबसे अधिक संख्या स्तन कैंसर पीडि़तों की है। साल दर साल आरसीसी सेंटर्ज में हजारों कैंसर मरीजों का पंजीकरण किया जा रहा है। महिलाओं की जीवनशैली इसके लिए अधिक जिम्मेदार मानी जा रही है। सही उम्र में शादी न करना, देर से मां बनना और फिगर के चक्कर में शिशु को स्तनपान न कराना कुछ ऐसे कारण है जो स्तन कैंसर को बढ़ावा दे रहे हैं। हिमाचल के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान आईजीएमसी शिमला में कैंसर विशेषज्ञों के मुताबिक आईजीएमसी में ही हर साल एक से डेढ़ हजार मरीज आते हैं।