कीक्ली ब्यूरो, 10 अक्टूबर, 2015, शिमला
शिमला नगर की स्वच्छता व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिए सभी को मिल जुलकर प्रयास करने चाहिए। मुख्य न्यायाधीश हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति मंसूर अहमद मीर ने आज यह बात शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान पर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण व पर्यावरण, विज्ञान एवं तकनीकी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित स्वच्छ शिमला अभियान के शुभारंभ अवसर पर अपने संबोधन में कही। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों की स्वच्छता जागरूकता रैली को झण्डी दिखाकर रवाना किया।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि शिमला नगर की अपनी ऐतिहासिक गरिमा है, जिसे बनाए रखने के लिए इस नगर को और स्वच्छ बनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बच्चों को स्वच्छता के प्रति जागरूक कर न केवल पर्यावरण संरक्षण के प्रति सचेत करते हैं, बल्कि सामाजिक दायित्व के निर्वहन के लिए भी प्रेरित करते हैं।
उन्होंने कहा कि इस अभियान में शिमला नगर के लगभग 35 शैक्षणिक संस्थानों के 1000 बच्चों ने भाग लिया। बच्चों ने रिज मैदान से जाखू मंदिर तक चयनित आठ विभिन्न क्षेत्रों में स्वच्छता अभियान में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण द्वारा आज उच्च न्यायालय परिसर में प्रदेश के विभिन्न भागों से आए 110 बच्चों के लिए स्वच्छता विषय पर नारा, चित्रकला व निबंध लेखन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा लोगों को विधिक साक्षरता शिविर के माध्यम से न्यायिक प्रक्रिया से संबंधित जानकारी प्रदान कर जागरूक किया जा रहा है। स्कूलों में विधिक साक्षरता शिविरों का आयोजन कर छात्रों को संविधान, मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य व अन्य न्यायिक प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक किया जाता है।
मुख्य न्यायधीश ने कहा कि वर्ष 2010 में अधीनस्थ न्यायालयों में 202763 मामले निपटाए गए थे, जबकि वर्ष 2014 में 409732 मामले निपटाए गए। अधीनस्थ न्यायालयों में वर्ष 2010 की तुलना में वर्ष 2014 में यह लगभग 102 प्रतिशत की बढ़ौतरी है। उन्होंने कहा कि लॉ कमिशन ऑफ इंडिया ने अपनी 245वीं रिपोर्ट में कहा है कि हिमाचल प्रदेश में उच्च
न्यायपालिका में विचाराधीन मामलों के निपटारे में प्रति न्यायाधीश मामलों की संख्या 1296.1 मामले वार्षिक है, जो कि देश में सबसे अधिक है। देश में प्रति न्यायाधीश यह संख्या 1139 वार्षिक है। वर्ष 2004 में मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन में यह प्रस्ताव लाया गया था कि वरिष्ठ न्यायाधीशों को 500 मामले प्रतिवर्ष और 600 मामले प्रति कनिष्ठ न्यायाधीश द्वारा प्रतिवर्ष निपटाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2013 में 258791 मामले लंबित थे, जो कि 31 दिसम्बर, 2014 तक 2,26,234 रह गए हैं। यह सुदृढ़ प्रयासों द्वारा ही संभव हो पाया है।
सदस्य सचिव राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण श्री यशवंत सिंह चोगल ने बताया कि प्राधिकरण के माध्यम से वर्ष 2014-15 में पांच लाख 50 हजार बच्चों के सहयोग से पांच लाख 92 हजार पौधे रोपित किए गए। इस वर्ष एक लाख 70 हजार पौधे लगाए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रयास की निरंतरता कायम रखने के लिए प्राधिकरण सक्रिय है। इस अवसर पर निदेशक पर्यावरण विज्ञान एवं तकनीकी विभाग श्री अजय कुमार लाल ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया व अभियान के संदर्भ में विस्तृत जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं कार्यकारी अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल, न्यायमूर्ति श्री राजीव शर्मा, न्यायमूर्ति त्रिलोक चौहान व श्री सुरेश्वर ठाकुर, रजिस्ट्रार जनरल श्री सीबी बोरोबालिया, श्री वीरेंद्र शर्मा, रजिस्ट्रार रूल्ज श्री बीएम गुप्ता, सदस्य सचिव हिमाचल प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण श्री यशवंत सिंह चोघल, श्री संजय चौहान महापौर नगर निगम शिमला, उप महापौर श्री टिकेंद्र पंवर, एडवोकेट जनरल श्री श्रवण डोगरा, न्यायिक अधिकारी, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री दीपक सानन, श्री वी सी फारका, श्री नरेंद्र चौहान, श्री पी सी धीमान, उपायुक्त शिमला श्री दिनेश मल्होत्रा, अतिरिक्त उपायुक्त जिला शिमला श्री यूनुस, आयुक्त नगर निगम श्री पंकज राय, चेयरमेन बार कांउसिल हिमाचल प्रदेश श्री देशराज शर्मा, अध्यक्ष हिमाचल प्रदेश बार ऐसोसिएशन श्री यशवर्धन चौहान, श्री अशोक शर्मा एसिस्टेंट सोलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया, डॉ. बलदेव सचिव विधि, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार, अधिवक्ता, वरिष्ठ अधिकारी और गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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