कीकली रिपोर्टर, 14 सितम्बर, 2018, शिमला
हिन्दी भाषा को हम निरंतर व्यवहारिक रूप में प्रयोग करें, तभी इसे राजभाषा व अन्य क्षेत्रों में प्रभावी रूप से स्थापित करने में सक्षम होगें। यह विचार आज शिक्षा विधि एंव संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने भाषा एवं सस्ंकृति विभाग द्वारा आयोजित राजभाषा पुरस्कार वितरण समारोह-2018 के अवसर पर ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपने संबोधन में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि विभिन्न विकासशील देश अपनी मातृ भाषा में ज्ञान प्राप्त कर आगे बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान, वाणिज्य व अन्य विषयों का ज्ञान हिन्दी में प्राप्त कर आगे बढ़ा जा सकता है। हिन्दी भाषा देश की एकमात्र सम्पर्क भाषा है, जो सम्पूर्ण देश को एक सूत्र में पिरोती है और कहा कि आजादी प्राप्त करने के आंदोलन में भी हिन्दी भाषा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारद्वाज ने विभाग द्वारा करवाई गई विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं तथा विभिन्न स्तरों पर कार्यालयों में हिन्दी में कार्य करने वाले अधिकारियों एव कर्मचारियों से आह्वान किया कि वह अन्य सहकर्मियों को भी हिन्दी में कार्य करने के प्रति प्रोत्साहित करें। इस अवसर पर उन्होंने भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित भाषण, निंबध लेखन, कविता पाठ एवं प्रश्नोतरी प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। यह प्रतियोगिताएं अंतर विद्यालय तथा अंतर महाविद्यालय स्तर पर करवाई गई थीं। उन्होंने राजभाषा हिन्दी कार्यसाधक ज्ञान प्रतियोगिता-2018 के अधिकारी वर्ग, कर्मचारी वर्ग तथा जिला स्तर पर राजभाषा हिन्दी में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों को भी पुरस्कृत किया।
कार्यक्रम में सचिव भाषा एवं सस्ंकृति विभाग पूर्णिमा चैहान, निदेशक राकेश कुमार कोरला और विभागीय अधिकारी व गणमान्य लोग उपस्थित थे।