रसायनिक खाद और कीटनाशकों से तैयार अनाज, फल-सब्जियों का सेवन और पोषणयुक्त भोजन की अनुपलब्धता प्रदेश में महिला एवं बाल स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बनकर उभरा है। प्रदेशभर में युवतियां, महिलाएं, गर्भवती महिलाएं और बच्चे रक्त अल्पता से जूझ रहे हैं। नेशनल हैल्थ सर्वे 2019 के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 53.4% युवतियां व महिलाएं एनीमिक हैं। प्रदेश की 50 % से अधिक गर्भवती महिलाएं और 5 साल तक की उम्र के 53.7% बच्चे खून की कमी से जूझ रहे हैं वहीं 13.7% बच्चे ऐसे हैं जो कुपोषण का शिकार हैं।
प्रदेश में चल रहा प्राकृतिक खेती अभियान इस मुद्दे को हल करने का सशक्त विकल्प बना है। रसायन रहित, पर्यावरण हितैषी और कम खर्चे में होने वाली यह खेती किसान के लिए तो आय बढ़ाने का साधन है ही बल्कि उपभोक्ता की थाली में रसायनरहित और पोषणयुक्त भोजन पहुंचाने में सक्षम है। प्रदेशभर के किसान समुदाय में ख्याति पा रही यह विधि सबके लिए हितकारी है। ऐसे में स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे इस बड़े वर्ग के लिए पौष्टिक भोजन एवं फल मुहैया करवाना अत्यंत आवश्यक है ताकि प्रदेश की माताएं, बहनें और बच्चे स्वस्थ जीवन जी सकें।
इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्राकृतिक खेती के बारे में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। प्रदेश के सभी 81 विकास खंडों में आयोजित होने वाली इस कार्यशाला में महिला व पुरूष किसानों के साथ बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण के साथ जुड़ीं आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भाग लेंगीं। कार्यशाला में प्राकृतिक खेती पर आधारित ‘मेरी बगिया’ मॉडल भी प्रदर्शित किया जाएगा। प्राकृतिक खेती के मेरी बगिया माॅडल में घरों के बाहर की छोटी सी क्यारी में 5-6 प्रकार की हरी सब्जियांे, सलाद और फलों का एक माॅडल तैयार किया जाएगा। इससे परिवारवालों को पोषणयुक्त हरी सब्जियां हर समय मिलती रहेगी। प्राकृतिक खेती आधारित इस बगिया से महिलाओं एवं बच्चों को हरी शाक-सब्जी, फल और रसोई में प्रयुक्त होने वाले मसाले मिलना सुनिश्चित होंगे। प्राकृतिक खेती के लिए गठित राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई के दिशा-निर्देश में होने वाली यह कार्यशाला जिला आतमा टीम द्वारा नियत स्थानों पर सुबह 9:30 से शुरू होकर शाम 4 बजे तक चलेगी। इस दौरान प्राकृतिक खेती से जुड़े उन्नत किसान अपने अनुभव साझा करेंगे और तकनीकी सत्र में खंड स्तर पर तैनात एटीएम व बीटीएम अधिकारी प्राकृतिक खेती के घटकों जीवामृत और घनजीवामृत को बनाना सिखाएंगे। कार्यशाला में खंड किसान सलाहकार समिति के सदस्य, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और प्राकृतिक खेती के इच्छुक 30 किसान-बागवान मौजूद रहेंगे।
प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यकारी निदेशक प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिला और बाल स्वास्थ को बेहतर करने के उद्देश्य से प्राकृतिक खेती पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला के दौरान राज्य परियोजना इकाई द्वारा बनाए गए ‘मेरी बगिया’ मॉडल के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। प्राकृतिक खेती आधारित इस मॉडल से प्रदेश की माताओं, बहनों और बच्चियों को पोषणयुक्त शाक-सब्जी मिलेगी और उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा।