हिमाचल प्रदेश के दूरदराज़ क्षेत्रों में अब हाई-स्पीड मोबाइल नेटवर्क और ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी एक हकीकत बनने जा रही है। भारत सरकार हिमाचल में 4G संतृप्ति योजना के तहत लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च कर 498 नए मोबाइल टावर स्थापित कर रही है, ताकि राज्य के दुर्गम इलाकों में भी तेज़ इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं उपलब्ध हो सकें।
दूरसंचार अपर महानिदेशक अनिल कुमार गुप्ता ने आज मीडिया से बातचीत में बताया कि ‘भारत नेट’ योजना के अंतर्गत 3615 ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, रोजगार, व्यापार और ई-गवर्नेंस को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, 15,538 गांवों को भी फाइबर नेटवर्क से जोड़ने
साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए दूरसंचार विभाग ने ‘फाइनेंशियल रिस्क इंडिकेटर (FRI)’ प्रणाली विकसित की है, जिसे सभी बैंकों के सिस्टम में एकीकृत करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके तहत मोबाइल नंबरों को उनके उपयोग के आधार पर कम, मध्यम और उच्च जोखिम की श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा, जिससे वित्तीय लेन-देन से पहले ही संदेहास्पद गतिविधियों की पहचान की जा सकेगी।
साथ ही, विभाग ने ‘डिजिटल इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म’ भी तैयार किया है, जिसके माध्यम से संदिग्ध उपभोक्ता, धोखाधड़ी में संलिप्त PoS और अन्य डाटा सभी हितधारकों से साझा किया जाएगा।
मोबाइल टावरों से होने वाले EMF उत्सर्जन को लेकर फैल रही भ्रांतियों को दूर करते हुए अनिल गुप्ता ने बताया कि भारत में EMF उत्सर्जन के मानक विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से भी अधिक सख्त हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष 454 टावरों की सैंपल टेस्टिंग की गई, और सभी टावर निर्धारित सुरक्षा मानकों पर खरे उतरे।
सरकार की “संचार मित्र योजना” के तहत विश्वविद्यालयों के छात्रों को दूरसंचार विभाग और आम नागरिकों के बीच सेतु के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस वर्ष हिमाचल प्रदेश में सात इंजीनियरिंग कॉलेजों से 31 छात्रों को “संचार मित्र” के रूप में चुना गया है, जो टेलीकॉम सेवाओं की जानकारी समाज तक पहुँचाने का कार्य करेंगे।
मानसून के दौरान चंबा, लाहौल-स्पीति, कुल्लू और मंडी जैसे जिलों में आई प्राकृतिक आपदाओं के कारण संचार सेवाएं बाधित हो गई थीं। ऐसी स्थिति में दूरसंचार विभाग ने ‘इंट्रा-सर्किल रोमिंग (ICR)’ सेवा लागू की, जिसके तहत उपभोक्ता अपने नेटवर्क न होने की स्थिति में अन्य ऑपरेटर के नेटवर्क का इस्तेमाल कर सके।
ICR सेवा को क्रमश: 2 जुलाई को थुनाग (मंडी), 25 अगस्त को चंबा शहर और भरमौर, और 27 अगस्त को लाहौल-स्पीति व कुल्लू में सक्रिय किया गया, जिससे आपदा के समय नागरिकों को कॉल, SMS और डेटा सेवाएं मिलती रहीं।
हिमाचल प्रदेश में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में ये प्रयास न केवल तकनीकी समावेशन की ओर बड़ा कदम हैं, बल्कि समाज के हर वर्ग तक संचार और सुरक्षा की पहुंच सुनिश्चित करते हैं।