76 वां गणतंत्र दिवस – डॉ कमल के प्यासा

0
169
डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा

15 अगस्त 1947 के पश्चात अर्थात भारत की स्वतंत्रता के पश्चात सबसे पहले भारत गणराज्य के लिए अपने संविधान का होना बहुत ही अहमियत रखता था। इस लिए इस संबंध में विचार किया गया और इसके लिए संविधान सभा की घोषणा की गई तथा सभा का अध्यक्ष देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजिंदर प्रसाद को बनाया गया जिनके साथ अन्य सदस्यों में शामिल थे डॉ बी. आर. आंबेडकर, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल व मौलाना अब्दुल कलाम आजाद।

29 अगस्त, 1947को संविधान के लिए ही प्रारूप समिति का गठन किया गया, जिसका अध्यक्ष डॉ. भीम राव अम्बेडकर को बनाया गया। इस समिति में मसौदा तैयार करने के डॉक्टर बी. आर. आंबेडकर, अल्लादी कृष्ण स्वामी, एन गोपाल स्वामी, के एम मुंशी, मुहम्मद सादुल्ला, बी एल मित्तर व डी पी खेतान को मिला कर कुल सात सदस्य शामिल थे। संविधान निर्माण के लिए आगे 22 उप समितियों का गठन किया गया।

इस प्रकार से संविधान को तैयार करने में 2 वर्ष, 11 मास और 18 दिन का समय लग गया। 25-26 नवंबर 1949 को संविधान को तैयार करके डॉ. भीम राव द्वारा डॉ. राजिंदर प्रसाद जी को दे दिया गया। यही संविधान 26 जनवरी, 1950 से लोकतांत्रिक गणराज्य भारत में लागू हो गया। इसके लिए 26 जनवरी का दिन इस लिए रखा गया, क्योंकि दिसंबर 1929 में लाहौर में पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का अधिवेशन आयोजित किया गया था और उसमें पूर्ण स्वराज्य की घोषणा 26 जनवरी, 1930 के लिए की गई थी, लेकिन उस समय अंग्रेज सरकार इसके लिए सहमत नहीं हुई थी।

इसी कारण स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात संविधान को लागू करने के लिए 26 जनवरी के दिन को रखा गया । 26 जनवरी का यह दिन हम सब के लिए लोकतांत्रिक मूल्यों का सबसे बड़ा उत्सव है। इससे हमें भाईचारे, धर्मनिरपेक्षता, एकता में रहने व जाति वर्ग आदि के भेदों से दूर रहने का संदेश मिलता है। शासन में भागीदारी की जानकारी के साथ ही साथ अपने अधिकारों व देश के प्रति कर्तव्यों का भी पता चलता है।

इस दिन की पूर्व संध्या पर देश के राष्ट्रपति द्वारा विशेष संदेश को (प्रसारण के माध्यम से), देश के नाम से लोगों को दिया जाता है। 26 जनवरी को देश की राजधानी दिल्ली में विशेष समारोह का आयोजन राजपथ पर किया जाता है, जिसमें देश भर से लोग देखने को पहुंचते हैं,इतना ही नहीं विदेशों से भी कई एक मेहमान विशेष रूप से आमंत्रित किए जाते हैं। इस वर्ष 76 वें गणतंत्र समारोह के विशेष मेहमान रहे गे, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियाँटो। समारोह की विशेष शान, अलग अलग राज्यों से आई सुन्दर सुंदर
झांकियां व सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। देश प्रदेश के विकास संबंधी झांकियां, देश की रक्षा संबंधी यंत्र, शिक्षण संस्थानों के छात्रों का प्रदर्शन के साथ ही साथ देश के रक्षक जवानों का जोश भरा प्रदर्शन भी देखते ही बनता है।

राष्ट्रपति द्वारा द्वाजारोहण के पश्चात राष्ट्र गान होता है। प्रधान मंत्री द्वारा अमर जवान ज्योति पर स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुवे वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इसी अवसर पर देश के लिए विशेष योगदान करने वाले बच्चों, जवानों आदि को विशेष सम्मान दे कर राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भी किया जाता है।जगह जगह राष्ट्रीय गीतों का प्रसारण किया जाता है और इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन देश के सभी शिक्षण संस्थानों में भी किए जाते हैं। द्वाजारोहण के साथ, पुलिस, होम गार्ड, रक्षक दलों व शिक्षण संस्थानों के छात्र छात्राओं द्वारा परेड में शामिल हो कर समारोहों का आयोजन हर गांव व शहर में अपने पवित्र त्योहार की तरह किया जाता है।
आप सभी को परिवार सहित गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

हिमाचल प्रदेश का इतिहास – राज्य स्थापना दिवस क्यों मनाया जाता है?

Daily News Bulletin

Previous articleहिमाचल प्रदेश का इतिहास – राज्य स्थापना दिवस क्यों मनाया जाता है?
Next articleHimachal’s Him Pariwar Portal: 300+ Services Now Just a Click Away

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here