शिमला, तम्बाकू के सेवन प्रति सरकार और युवाओं को सजगता प्रदान करने की दिशा में बुद्धवार को हिमाचल प्रदेश युनिवर्सिटी (एचपीयू) स्थित डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स और नाडा इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से ‘टोबेको टैक्स: यूथ इश्यूज एंड कनसर्न’ पर एक दिवसीय कंसल्टेशन वर्कशॉप का आयोजन किया गया। कार्यशाला में स्टेट टैक्स के अधिकारी, अर्थशास्त्री, स्वयंसेवी संगठनों, युनिवर्सिटी के प्रोफेसर व छात्रों ने भाग लेकर तंबाकू से जुड़े आर्थिक पहलूओं और धुम्रपान संबंधी विषयों पर गहन चर्चा हुई। तंबाकू से कैंसर, फेफडे़, कार्डियोवास्कूलर, स्ट्रोक्स संबंधी कई बीमारियों के चलते देश में लगभग साढ़े 13 लाख जानें चली जाती हैं। आंकड़ों ओर भी चिंताजनक तब हो जाते हैं जब युवा आबादी इसकी लत के साथ अपनी जान गवां बैठती हैं। वर्कशॉप के आयोजक नाडा इंडिया के संयोजक सुनीज वात्सयन ने बताया कि इस वर्कशॉप का आयोजन इस उद्देश्य से किया गया था कि देश में तंबाकू के आर्थिक पहलूओं के साथ साथ आमंत्रित टैक्स विभाग के अधिकारियों, बुद्धिजीवियों, अर्थशास्त्रियों और युवाओं के साथ किफायती हो रहे तंबाकू सामग्रियों के घातक परिणामों पर चिंतन मंथन किया जा सके। उनके अनुसार विशेषज्ञों का मत था कि तंबाकू के उत्पादों की कीमत लगभग ऐसी तय होनी चाहिए जिससे की कम से कम बच्चे और युवा इसकी पहुंच से दूर रहे सकें।
विशेषज्ञों के मत को मजबूती देते हुये नाडा यूथ इंडिया नैटवर्क ने अर्थशास्त्रियों के ठोस तर्क के साथ राज्य सरकार और केन्द्र के जीएसटी कौंसिल के समक्ष सिफारिशें रखी हैं कि वे राज्य में सभी तंबाकू उत्पादों में कोंपनसेशन सैस में ईजाफा करें जिससे उन्हें दो लाभ होंगें। कोविड के दौरान राजस्व में हुये घाटे की भरपाई के साथ साथ बच्चों और युवाओं को इससे दूर रखा जा सकेगा। अतिरिक्त राजस्व के साथ प्रदेश सरकार स्वस्थ्य संबंधी मूलभूत ढ़ांचों को ओर अधिक मजबूती प्रदान कर सकता है और सेहतमंद प्रदेश की नींव रख सकता है। हिमाचल प्रदेश के इकोनॉमिक्स एंड स्टैटिक्स डिपार्टमेंट के आर्थिक सलाहकार डॉ विनोद राणा का मत था जुलाई 2017 में अस्तित्व में आये जीएसटी ने तंबाकू उत्पादों में कोई टैक्स इजाफा नहीं किया है और गत कई सालों से इन उत्पादों में किफायतीपन आ गया है। अब समय की मांग है कि जीएसटी कौंसिल सेहतमंद राष्ट्र की निर्माण के हित में तंबाकू के कीमतों में तेजी लाये। एचपीयू में इकोनोमिक्स विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ तनुज शर्मा के अनुसार तंबाकू अन्य नशीले ड्रग्स के लिये द्वारा खोलते है । स्वस्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी ग्लोबल यूथ टोबेको सर्वे – 4 का हवाला देते हुये उन्होंनें बताया कि इस संदर्भ में देश की हालात इतनी चिंताजनक है कि दस वर्ष की कम आयु में बच्चें तंबाकू का स्वाद चख लेते हैं जिसका मुख्य कारण इसकी आसानी से उपलब्धता बताया गया है। उन्होंनें चेताया कि इस दिशा में कड़े प्रयास जल्द ही करने होंगें जिससे की देश तंबाकू की चपेट में आकर बीमार राष्ट्र न बनें। इस अवसर पर मौजूद स्टेट ज्वाइंट टैक्स कमिश्नर कुलभूषण गौतम ने वर्कशॉप में पेश की गई सिफारिशों का संज्ञान लेते हुये इस दिशा में सार्थक कदम उठाने का आश्वासन दिया।