September 24, 2025

‘गेयटी ड्रामेटिक सोसायटी’ के सौजन्य से “डॉ फाउस्ट्स” नाटक का मंचन

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ब्रिटिश हुकुमत में बना गौथिक शैली का ऐतिहासिक गेयटी थियेटर शिमला अब तक ना जाने कितने ही रंगों को अपने में समेटकर पहाड़ों की ठंडी फिजाओं में रंगत घोलता आया है. एक बार फिर इन्हीं रंगों से शिमला के कलाप्रेमियों को सराबोर करने के लिए तैयार हिमाचल सरकार का अनूठा प्रयास ‘गेयटी थिएटर रंगमंडल’ “रेपेट्री” आप सबके बीच दुनियां के सर्वश्रेष्ठ नाटकों में से एक “डॉ फाउस्ट्स” के साथ शुभारम्भ करने जा रहा हैं. ‘गेयटी ड्रामेटिक सोसायटी’ के सौजन्य से इस नाटक का मंचन रविवार 9 और सोमवार 10 अक्तूबर 2022 को शाम 5:30 बजे से ओल्ड गौथिक थिएटर शिमला में किया जायेगा. कलाप्रेमी इसे निशुल्क देख सकेंगे. ‘डॉ फाउस्ट्स’ नाटक के रचयिता जर्मन के विख्यात नाटककार, कवि और ट्रांसलेटर ‘क्रिस्टोफर मार्लो’ हैं. क्रिस्टोफर मार्लो का जन्म 26 फरवरी 1564 को हुआ और छोटी सी उम्र में ही 30 मई 1593 को अपनी सांसारिक यात्रा पूरी कर गए. बताया जाता है कि उनका जीवन भी ‘डॉ फाउस्ट्स’ की ही तरह रहस्यों से भरा हुआ था और उनका निधन भी रहस्यमयी परिस्थितियों में ही हुआ था . ‘डॉ फाउस्ट्स’ उनकी सर्वोतम कृति मानी जाती है.

कहा जाता है कि ‘डॉ फाउस्ट्स’ नाटक कोप्धने के बाद एक बार महान लेखक ‘शेक्सपियर’ ने क्रिस्टोफर मार्लो से कहा था “ मैं अपने नवरचित 36 नाटक आपको देने के लिए तैयार हूँ, आप मुझे अपना यह एक नाटक दे दो” लेकिन मार्लो ने इस आग्रह को अस्वीकार कर लिया था. इन पंक्तियों से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विश्व साहित्य में इस नाटक का कितना महत्व है . ट्रेजडी, मिस्ट्री और गहराई से भरे इस नाटक की भव्यता को देखते हुए ही इस का मंचन दुनियाँ भर में हजारों बार हो चुका है . प्रबंधक गेयटी ड्रामेटिक सोसायटी शिमला सुदर्शन शर्मा ने बताया कि एलिजाबैथ दौर में रचित इस नाटक डॉ फाउस्ट्स का हिंदी अनुवाद स्व बद्री सिंह भाटिया ने किया था. एतिहासिक गेयटी थिएटर में इस नाटक का निर्देशन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता प्रदेश के जाने माने निर्देशक केदार ठाकुर कर रहे है. जबकि इसमें किरदार हिमाचल प्रदेश के ही कलाकार निभाएंगे. गेयटी ड्रामेटिक सोसायटी गेयटी थिएटर रेप्रेट्री का हाल ही में गठन किया है जिस की यह पहली प्रस्तुति है . उन्होंने बताया की विभाग का प्रयास है की प्रदेश के युवा और उभरते कलाकारों को प्रदेश में ही मंच मिले और इसी प्रयास को आगे बढाते हुए डॉ फाउस्ट्स नाटक से शुरुआत की जा रही है. उन्होंने तमाम कलाप्रेमियों, रंगकर्मियों और कला से जुड़े प्रबुद्धजनों से इस प्रस्तुति को देखने और इस पर अपने विचार साझा करने का आग्रह किया है .

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