November 24, 2024

मुक्ति परीक्षा: एक कविता

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डॉ. कमल के. प्यासा

परीक्षा जीवन है,  
जीवन भर चलती है,
कभी मुक्ति नहीं,
रुकती नहीं,
जीने की राह दर्शाती है,
खुल कर जीना सिखाती है।

परीक्षा कुर्बानी है,
कुर्बानी मांगती है,
अमरत्व दिलाती है,
दिलों में बसाती है,
पहचान दिला कर,
पहचान बनाती है! (अस्तित्व में लाती है)

परीक्षा चुनौती है,
चुनौतियां लाती है,
चुनौतियां मुक्ति नहीं,
आगे से आगे ले जाती हैं,
बड़ने को उकसाती हैं,
और जीवन में रस लाती हैं!

परीक्षा तो लपटें हैं,
आतिश की मानिद,
ज्ञान के प्रकाश की,
जो तपाती हैं पकाती हैं,
मजबूती दिला कर,
संभल संभल कर,
चलना सीखा कर,
कुंदन की तरह चमकाती हैं !

परीक्षा जो देता है,
खुद जीता है,
परखता है,
सलीका जीने का पा कर,
देता है प्रेरणा उकसा के,
दूजों को आगे बड़ने का,
रास्ता भी दिखाता हैं !           

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