October 14, 2025

बंगाल का निर्भीक क्रांतिकारी: नेता जी सुभाष चंद्र बोस

Date:

Share post:

डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा

बंगाल के निर्भीक क्रांतिकारी वीर सुभाष चंद्र का जन्म 23 जनवरी,1897 को माता श्रीमती प्रभा वती व कटक के प्रसिद्ध कायस्थ वकील पिता जानकी नाथ बोस के घर( उड़ीसा के )कटक में हुआ था।पिता जानकी नाथ बोस पहले कटक की महापालिका में भी अपनी सेवाएं दे चुके थे और यहीं से विधान सभा के सदस्य भी रह चुके थे।नेता जी सुभाष चंद्र बोस कुल मिला कर 14 भाई बहिन थे।सुभाष जी का लगाव दूसरे स्थान के भाई शरद चंद्र के साथ कुछ अधिक ही था और समय समय पर उनसे ही सलाह लिया करते थे।पांचवीं तक की स्कूली शिक्षा कटक के प्रोटेस्टेंड पाठशाला से प्राप्त करने के पश्चात वर्ष 1909 में उन्होंने रेवेनशा शिक्षण संस्थान में प्रवेश ले लिया था और वर्ष 1915 में अपनी बीमारी की स्थिति में इंटरमीडिएट की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में पास कर ली थी।

वर्ष 1916 में जब नेता जी दर्शन शास्त्र में बी 0ए 0 ऑनर्स कर रहे थे तो वहीं प्रेसीडेंसी कॉलेज में आपसी मनमुटाव के कारण ,उन्हें एक वर्ष के लिए कॉलेज से निकाल दिया गया था।इसके पश्चात उन्होंने सेना में भर्ती होना चाहा और 49 बंगाल रेजिमेंट की परीक्षा भी दी,लेकिन आंखों में कुछ कमी के कारण भर्ती नहीं हो पाए।बाद में टेरिटोरियल आर्मी की परीक्षा दे कर फोर्ट विलियम सेवा में रंगरूट के रूप में भर्ती हो गए।साथ ही अपनी शिक्षा को जारी रखते हुवे उन्होंने वर्ष 1919 में बी 0ए0 ऑनर्स प्रथम श्रेणी में कर ली।बाद में वर्ष 1920 में इंग्लैंड से आई सी एस की परीक्षा चौथे स्थान पर रह कर पास कर ली।क्योंकि नेता जी विद्वानों को पढ़ते व उनके विचार सुनते रहते थे और उन पर ऋषि दयानंद सरस्वती व ऋषि अरविंद जी के विचारों का भारी प्रभाव था ,फलस्वरूप आई सी एस बन कर वह अंग्रेजों का गुलाम नहीं बनना चाहते थे,इसी बात को ध्यान में रखते हुवे उन्होंने 22अप्रैल ,1921 को अपने आई सी एस से त्याग पत्र दे दिया।बाद में जून, 1921में मानसिक व राजनैतिक विज्ञान में ट्राईपास(ऑनर्स)की डिग्री के साथ भारत लौट आए।

भारत पहुंचने पर नेता जी स्वतंत्रता सेनानी चितरंजन दास जी की देश के प्रति सेवाओं को देख कर बहुत प्रभावित हुवे और उनसे मिलने के बारे में सोचने लगे।वैसे तो उनके साथ एक दो बार पत्र व्यवहार भी हुआ था।फिर नेता जी महात्मा गांधी से मिलने उनके पास मणि भवन बंबई जा पहुंचे।21 जुलाई 1921 को गांधी जी ने उन्हें चितरंजन दास जी से मिलने को कहा,क्योंकि महात्मा गांधी जी ने उन दिनों असहयोग आन्दोलन चला रखा था और दास बाबू इसी कार्य को बंगाल में चला रहे थे।इस प्रकार नेता जी सुभाष चंद्र दास बाबू के सहयोगी बन गए।जिस समय चौरी चौरा की घटना घटी (5/2/1922) तो गांधी जी ने अपना आंदोलन बंद कर दिया था,तभी दास जी ने कांग्रेस के अंतर्गत ही स्वराज पार्टी का गठन करके साथ ही कलकत्ता महापालिका का चुनाव ,स्वराज पार्टी की ओर से लड़ कर जीत लिया और दास कलकत्ता के महापौर बन गए तथा नेता जी सुभाष को कार्यकारी अधिकारी बना दिया गया।

नेता जी सुभाष चंद्र बोस द्वारा इस पद पर आसीन होते ही ,कलकत्ता की काया ही पलट कर रख दी और सारे कार्य अपने ढंग से सुधारात्मक तरीके से करने लगे।उन्होंने कलकत्ता के सभी स्थानों व रास्तों के नाम अंग्रेज़ी के स्थान पर भारतीय कर दिए।इन्हीं के साथ ही साथ देश की स्वतंत्रता के लिए योगदान करने वालों को महापालिका में नौकरी के अवसर दिए गए। नेता जी ने आगे पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ मिलकर ,युवाओं के लिए इंडिपेंडेंस लीग भी शुरू कर दी थी। वर्ष 1927में साइमन कमीशन के भारत आने पर ,उनका बहिष्कार काले झंडों से किया गया।वर्ष 1928 में जिस समय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन मोती लाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ तो नेता जी ने खाकी गणवेश धारण करके मोती लाल नेहरू जी को सलामी दी थी।

जब कि गांधी जी उस समय पूर्ण स्वराज्य की मांग के लिए राजी नहीं थे।अधिवेशन में डोमिनियन स्टेट्स की मांग की जा रही थी।लेकिन नेता जी सुभाष चंद्र बोस व पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा पूर्ण स्वराज्य की मांग की जा रही थी।अंत में अंग्रेज सरकार को एक साल का डोमिनियल स्टेटस देने के लिए एक साल का समय दे दिया ,नहीं तो पूर्ण स्वराज्य की मांग जारी रहे गी।लेकिन मांग के न माने जाने पर वर्ष 1930 के वार्षिक अधिवेशन में जो कि लाहौर में पंडित जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ,उसमें तय किया गया कि 26 जनवरी के दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

26 जनवरी 1931 को जिस दिन कलकत्ता में झंडे के साथ नेता जी सुभाष चंद्र बोस एक विशाल जन समूह के साथ नेतृत्व कर रहे थे तो पुलिस ने उन पर लाठियां बरसानी शुरू कर दीं और उन्हें घायल अवस्था में ही जेल भेज दिया।बाद में गांधी जी के एक समझौते के अनुसार नेता जी व उनके सभी साथियों को मुक्त कर दिया।लेकिन नेता जी इस समझौते के पक्ष में नहीं थे। स्वतंत्रता संग्राम में नेता जी की विशेष भागीदारी के कारण ही जनता उन्हें विशेष स्नेह देने लगी थी।वर्ष 1930 में जब नेता जी जेल में ही थे और चुनाव लड़ने पर उन्हें कलकत्ता का महापौर चुन लिया गया और फिर सरकार को उन्हें जेल से मुक्त करना ही पड़ गया।लेकिन वर्ष 1932में उन्हें फिर से जेल में डाल कर अलमोड़ा जेल भेज दिया, यहीं पर नेता जी की तबियत खराब होने के कारण उन्हें यूरोप जाना पड़ा।

वर्ष 1933 से 1936 तक नेता जी यूरोप में ही रहे।वहीं रहते वे उधर इटली के नेता मुसोलिनी से भी मिले ,जिसमें वह भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सहायता देने को राजी हो गया।इसी तरह आयरलैंड के नेता डी वलेश से भी बात की गई।वर्ष 1934 में जिस समय नेता जी के पिता बीमार पड़ गए तो नेता जी वापिस कलकत्ता पहुंच गए,लेकिन तब तक पिता नहीं रहे थे और नेता जी के कलकत्ता पहुंचते ही अंग्रेज सरकार ने उन्हें फिर से पकड़ कर जेल में डाल दिया और वापिस यूरोप भेज दिया।वर्ष 1934 में ही उपचार के मध्य ऑस्ट्रिया में उनकी मुलाकात (पुस्तक लिखने के सिलसिले में)टाइपिस्ट एमिली शेंकल नामक लड़की से हो गई,जो कि बाद में दोस्ती से प्रेम संबंधों में बदल कर वर्ष 1942 में (बाड ग़ास्टिन नामक जगह में हिंदू रीति रिवाज की )शादी में बदल गई।शादी के पश्चात वियेना में नेता जी के यहां सुन्दर कन्या ने जन्म लिया ,जिसका नाम अनीता रखा गया।

वर्ष 1938 में कांग्रेस का 51वां वार्षिक अधिवेशन हरिपुरा में अध्यक्ष पद के लिए किया गया जिसमें नेता जी को ही चुना गया और 51 बैलों के रथ में बैठा कर नेता जी का भव्य स्वागत किया गया।अध्यक्ष पद के साथ ही शीघ्र योजना आयोग की स्थापना की गई ,जिसके अध्यक्ष पंडित जवाहर लाल नेहरू को बनाया गया।बैंगलोर में विश्वेश्वरमया की अध्यक्षता में विज्ञान परिषद की स्थापना की गई।इतना सब कुछ होते हुवे ,महात्मा गांधी जी को नेता जी सुभाष चंद्र बोस के कार्य करने का ढंग ठीक नहीं लग रहा था।उधर द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने जा रहा था,नेता जी इस अवसर का लाभ उठाने की ताक में थे और स्वतंत्रता संग्राम को तेज कर देना चाहते थे ।उन्होंने इस ओर अपना काम शुरू भी कर दिया था।परन्तु गांधी जी इस पक्ष में नहीं थे। वर्ष 1939 जब नए अध्यक्ष के चयन का समय आया तो अब की बार नेता जी भी यही चाहते थे कि अध्यक्ष ऐसा होना चाहिए जो किसी के दबाव में न आए।जब कोई भी इस पद पर ऐसी स्थिति में आने को तैयार नहीं हुआ तो नेता जी खुद ही इसके लिए तैयार हो गए,लेकिन गांधी जी ऐसा नहीं चाहते थे।

फलस्वरूप इसके लिए चुनाव करना पड़ गया।जिसमें नेता जी भारी बहुमत से जीत गए।फिर भी असहयोग के चलते नेता जी पद पर बने नहीं रहना चाहते थे और 29 अप्रैल 1939को उन्होंने अपने पद से अस्तिफा दे दिया। नेता जी ने फिर 3मई 1939 को कांग्रेस में रहते हुवे फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना कर दी,जिस कारण उन्हें कांग्रेस से निकाल दिया गया।द्वितीय युद्ध के साथ ही नेता जी का अंग्रेजों के विरुद्ध कार्य तेज गति से शुरू हो गया था।कलकत्ता का हालवेट स्तंभ(गुलामी का प्रतीक)नेता जी की यूथ ब्रिगेड द्वारा तोड़ दिया गया था।अब आगे ब्रिटिश साम्राज्य को खत्म करने की बारी थी। लेकिन अंग्रेजों को भनक मिल गई और उन्होंने नेता जी व उनके सभी साथियों को कैद कर के जेल में बंद कर दिया।नेता जी ने जब आमरण अनशन शुरू किया और उनकी हालत को खराब होते देख अंग्रेजों ने उन्हें छोड़ दिया।

लेकिन उन पर नजर रखी जाने लगी और उन्हें घर पर नजर बंद कर दिया।नेता जी भी कोई कम नहीं थे ,उन्होंने अपनी योजना अनुसार वेश बदल कर कई देशों की सरहदों को पार करते हुवे जर्मन की राजधानी बर्लिन जा पहुंचे।वही उन्होंने आजाद हिंदी रेडियो की स्थापना करके ,नेता जी के नाम से प्रसिद्ध हो गए।जब जर्मनी में नेता जी को कोई आशा की किरण न दिखाई दी तो नेता जी ,8 मार्च 1943 को अपने एक साथी के साथ पनडुब्बी से जापन पहुंच गए।जापान की मदद से नेता जी ने अंडेमान निकोबार पर अधिकार करके 21 अक्टूबर 1943 आर्जी हुकूमते आजाद हिंद की स्थापना कर दी और खुद इसके करता धरता बन गए।लेकिन जब जापान युद्ध में हार गया तो नेता जी को भी पीछे हटना पड़ा। नेता जी अब रूस की मदद के लिए निकल पड़े लेकिन दुर्भाग्य से 18 अगस्त 1945 को ताइवान में हुई विमान दुर्घटना में क्रांतिकरी वीर सुभाष चंद्र बोस की दुखद हादसे में मृत्यु हो गई।

Daily News Bulletin

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

Digital Push: HP to Launch Medical Test Payment App

A government spokesperson announced today that CM Sukhu has directed the Health Department to develop a mobile application...

SBI Steps Up with ₹1.55 Crore Donation

CM Sukhu received a cheque of ₹1.55 crore for the Aapda Rahat Kosh from Krishan Sharma, Chief General...

गोवा फेस्ट में शिमला की मुस्कान नेगी ने लहराया परचम

शिमला के आरकेएमवी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर और दृष्टिबाधित गायिका मुस्कान नेगी ने गोवा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय पर्पल...

NITI Aayog Releases Deep-Sea Fisheries Roadmap

NITI Aayog released a comprehensive report titled “India’s Blue Economy: Strategy for Harnessing Deep-Sea and Offshore Fisheries.” The...