ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने आज राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान, मशोबरा स्थित स्टूडियो-कम-लर्निंग सेंटर का शुभारंभ किया। यह अत्याधुनिक केंद्र प्रशिक्षण और अध्ययन के क्षेत्र में एक नई पहल है, जिसे नवीनतम तकनीकों और डिजिटल संसाधनों से सुसज्जित किया गया है।
मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि यह सेंटर पंचायत प्रतिनिधियों, अधिकारियों और प्रशिक्षणार्थियों को ऑनलाइन शिक्षण, डिजिटल सामग्री और व्यावहारिक अनुभव प्रदान करेगा। इससे प्रशिक्षण की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होगा और ग्राम पंचायतों के सशक्तिकरण को गति मिलेगी। उन्होंने इसे “समय की आवश्यकता” करार दिया और आशा जताई कि इससे ग्रामीण विकास के कार्य और अधिक प्रभावी होंगे।
मंच से ही मंत्री ने राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनर्स के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन भी किया। यह शिविर पंचायती राज विभाग, और राज्य ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया है, जिसका मुख्य विषय है:
“अनुसूचित क्षेत्रों में मादक पदार्थों पर प्रतिबंध तथा उनके विक्रय एवं उपभोग का नियंत्रण”।
इस शिविर में देश के 10 पेसा राज्यों — आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना — से आए प्रतिभागी अधिकारियों ने हिस्सा लिया। मंत्री ने बताया कि प्रदेश के 3 जिलों की 163 पंचायतें पेसा अधिनियम के अंतर्गत आती हैं और यह प्रशिक्षण इस क्षेत्र में दूसरी बार आयोजित किया जा रहा है।
कार्यक्रम के दौरान पेसा अधिनियम पर आधारित “कॉफी टेबल बुक” का विमोचन किया गया, साथ ही राजीव गांधी स्वराज योजना पर बनी वीडियो डॉक्यूमेंट्री भी प्रदर्शित की गई।
इस अवसर पर सचिव राजेश शर्मा, अतिरिक्त निदेशक नीलम दुलटा, और उप निदेशक विजय ब्रागटा सहित कई अन्य अधिकारियों ने प्रशिक्षण की महत्ता और पेसा अधिनियम की प्रासंगिकता पर विचार साझा किए।
यह पहल न केवल हिमाचल में प्रशिक्षण ढांचे को मजबूती देगी, बल्कि देशभर के पंचायत प्रतिनिधियों को संवेदनशील, जागरूक और तकनीकी रूप से सक्षम नेतृत्व प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगी।