जिला विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) शिमला के सहयोग से बालिका आश्रम, मशोबरा में एक दिवसीय जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में बच्चों को हिंसा, दुर्व्यवहार, शोषण, तस्करी और खतरनाक कार्यों से सुरक्षा संबंधी उनके अधिकारों की जानकारी दी गई।
कार्यक्रम की प्रमुख वक्ता, जिला कार्यक्रम अधिकारी ममता पाल ने बताया कि सभी बाल-बालिका आश्रमों में किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और मिशन वात्सल्य योजना के अंतर्गत समुचित सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के माध्यम से बच्चों को सामाजिक सुरक्षा के विभिन्न लाभ दिए जा रहे हैं।
ममता पाल ने बच्चों को यह भी बताया कि उन्हें न केवल हिंसा और शोषण से बचाव का अधिकार है, बल्कि वे अपनी राय व्यक्त करने, विचारों की स्वतंत्रता और धर्म के चयन जैसे मौलिक अधिकारों के भी हकदार हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हर बच्चा कानूनन सहायता पाने का हक़ रखता है और इन अधिकारों के प्रति उन्हें सजग रहना चाहिए।
वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रबंधक भावना ने महिलाओं और बालिकाओं के लिए उपलब्ध सहायता सेवाओं की जानकारी दी। उन्होंने पॉक्सो एक्ट, महिला तस्करी, एनडीपीएस एक्ट और बाल विवाह से संबंधित कानूनी प्रावधानों पर भी प्रकाश डाला।
चाइल्ड लाइन के कोऑर्डिनेटर राम चंद ने बच्चों के अधिकारों, बाल विवाह निषेध अधिनियम, पॉक्सो एक्ट और बाल श्रम कानूनों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सभी बाल आश्रमों में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का टोल फ्री नंबर 15100 और चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 प्रमुख रूप से प्रदर्शित किए गए हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में बच्चे तुरंत सहायता प्राप्त कर सकें।
कार्यशाला में अधीक्षक कल्पना वर्मा सहित बालिका आश्रम का स्टाफ भी मौजूद रहा।
इस जागरूकता कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति सचेत करना और उन्हें एक सुरक्षित व आत्मनिर्भर भविष्य की ओर अग्रसर करना था।