राखी साल में एक बार आती है,
आपसी गिले शिकवे सारे मिटाती है,
बहन भाई को प्यार से गले लगाती है,
भाई बहन के प्यार को कैसे, कच्चे धागों की पक्की डोर को बाजुओं पर पहनाती है।
अक्सर बहने शादी के बाद पराई सी हो जाती हैं,
अपने घर संसार में ही खोई रेहतीं है,
लेकिन आता है जब राखी का प्यारा सा त्योहार,
तो जरूर अपने भाई के घर राखी बांधने दौड़ी चली आती हैं।
अपने भाई से मिलकर बहुत प्यार जतातीं हैं,
हो कोई गर गिला शिकवा तो उसको भी मिठाई खिला कर दूर कर जातीं हैं,
भाई भी इस दिन बहन को प्यारे से उपहार देते हैं,
घर में आई बहना को खूब पकवान खिलाते हैं,
ऐसे हर साल भाई बहन राखी का त्योहार मनाते है।
जब बहन भाई की कलाई पर प्यारी सी राखी की डोर बांधती है,
भाई भी हर हाल में उसकी रक्षा करने की कसम खाते हैं,
भाई बहन दोनों एक दूजे की रक्षा कसम को निभाते हैं,
हर वर्ष फिर से ये प्यारा सा भाई बहन का त्योहार मनाते हैं।