भाषा एवं संस्कृति विभाग, हिमाचल प्रदेश ने अभिषेक मेमोरियल वेलफेयर ट्रस्ट के सहयोग से गेयटी थिएटर के सम्मेलन कक्ष में डॉक्टर हेमराज कौशिक द्वारा लिखित पुस्तक “हिमाचल की हिंदी कहानी: विकास और विश्लेषण” पर एक परिचर्चा का आयोजन किया। इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार श्रीनिवास जोशी उपस्थित रहे, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. हरि सुमन बिष्ट ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में लेखक एवं पूर्व प्रशासनिक अधिकारी के.आर. भारती ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज की।


कार्यक्रम का शुभारंभ और पुस्तक चर्चा
कार्यक्रम का शुभारंभ विभाग की उपनिदेशक श्रीमती कुसुम शंघाईक ने अतिथियों और उपस्थित विद्वानों के स्वागत के साथ किया। पुस्तक चर्चा के अंतर्गत श्री राजेंद्र राजन, डॉ. उषा बंदे और प्रोफेसर मीनाक्षी एफ. पाल ने पत्र वाचन किया। इसके बाद डॉक्टर सत्यनारायण स्नेही, डॉक्टर सुदर्शन वशिष्ठ, डॉ. दिनेश शर्मा, श्री गुप्तेश्वर उपाध्यक्ष, और श्री जगदीश बाली ने भी पुस्तक पर अपने विचार साझा किए।
साहित्यिक महत्व पर वक्ताओं की राय

श्री राजेंद्र राजन ने कहा कि डॉक्टर हेमराज कौशिक की यह पुस्तक हिमाचल प्रदेश की हिंदी कहानियों के विगत 100 वर्षों का दस्तावेज़ है, जिसमें सैकड़ों कहानियों और 250 से अधिक कहानीकारों के कथा संग्रहों का शोधपरक विश्लेषण है। मुख्य अतिथि श्रीनिवास जोशी ने कहा कि यह पुस्तक शोधकर्ताओं के लिए अमूल्य खजाना है और साहित्य जगत को नई दिशा देने में सहायक होगी। अध्यक्ष डॉ. हरि सुमन बिष्ट ने पुस्तक को हिमालयी जनजीवन और हिंदी साहित्य के व्यापक विश्लेषण के रूप में सराहा, साथ ही इसे मानवीय सरोकारों से परिपूर्ण बताया।
धन्यवाद ज्ञापन
कार्यक्रम के अंत में, भाषा एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त निदेशक श्री मंजीत शर्मा ने कार्यक्रम में शामिल सभी विद्वानों का धन्यवाद किया और सार्थक चर्चा के लिए सराहना व्यक्त की। मंच संचालन का दायित्व वरिष्ठ कहानीकार डॉ. राजेंद्र राजन ने निभाया।