भूटान की राजधानी थिंफू में आयोजित भूटान-भारत साहित्य महोत्सव के अवसर पर हिमाचल प्रदेश की प्रतिष्ठित साहित्यकार मृदुला श्रीवास्तव के नवीन व्यंग्य संग्रह ‘आलस्यमेव जयते’ का भव्य लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर उन्हें ‘अंतरराष्ट्रीय साहित्य शिरोमणि सम्मान’ से भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में रूस की कवयित्री श्वेता सिंह ‘उमा’ मुख्य अतिथि और भूटान की चर्चित युवा कवयित्री सीतामाया राई विशिष्ट अतिथि रहीं। यह आयोजन क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा भूटान की साहित्यिक संस्थाओं के सहयोग से हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित किया गया था, जिसमें भारत, नेपाल, रूस, भूटान और अमेरिका से आए साहित्यकारों ने भाग लिया।
डॉ. विजय पंडित, अकादमी अध्यक्ष और कार्यक्रम संयोजक ने बताया कि मृदुला श्रीवास्तव ने पहले दो चर्चित कहानी संग्रह – ‘काश पंडोरी न होती’ और ‘जलपाश’ के माध्यम से साहित्य जगत में अपनी अलग पहचान बनाई और अब व्यंग्य विधा में ‘आलस्यमेव जयते’ के माध्यम से एक नई लहर पैदा की है। यह संग्रह 40 तीखे, कथात्मक व्यंग्य रचनाओं का संकलन है, जो भाषा के गहरे व्यंग्यात्मक तेवर और रोचक शैली से परिपूर्ण है।
मृदुला श्रीवास्तव की रचनाएं अनेक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं, और उनका अनुवाद अंग्रेजी, फ्रेंच और नेपाली भाषाओं में भी किया गया है। उन्हें कई प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।





