हिमाचल प्रदेश सरकार के उद्योग विभाग द्वारा शिमला के शोघी स्थित बिजनेस सेंटर में एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य राज्य में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को तकनीकी सशक्तिकरण, प्रतिस्पर्धात्मकता और सतत विकास की दिशा में जागरूक करना था।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए उद्योग विभाग शिमला के महाप्रबंधक संजय कंवर ने बताया कि क्लस्टर प्रणाली के अंतर्गत एमएसएमई इकाइयों को उच्च स्तरीय तकनीक, भारी मशीनरी और उपकरण नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यदि उद्यमी इन्हें व्यक्तिगत रूप से बाजार से खरीदें, तो भारी निवेश करना पड़ेगा, लेकिन उद्योग विभाग इन्हें क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत सरलता से सुलभ करा रहा है।
कंवर ने प्रतिभागियों को माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (MSE-CDP) और ग्रीनिंग ऑफ एमएसएमई पहल की जानकारी दी। उन्होंने SPICE और GIFT योजना के तहत चल रहे प्रयासों की भी विस्तार से चर्चा की, जो क्लस्टर आधारित विकास, औद्योगिक प्रतिस्पर्धा और हरित औद्योगिक प्रथाओं को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।
इस कार्यशाला में शिमला जिले से कई उद्यमियों और उद्योग प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला के दौरान रेज़िंग एंड एक्सेलेरेटिंग एमएसएमई परफॉर्मेंस (RAMP) परियोजना और सर्कुलर इकोनॉमी आधारित नवाचारों पर भी चर्चा हुई, जो उत्पादकता बढ़ाने, संसाधन दक्षता सुधारने, और लघु उद्योगों के विकास में सहायक होंगे।
इस अवसर पर प्रमुख उद्योग हितधारकों जैसे उदय मीनोचा (मिन्ची), गोपिंदर (आनंद टोयोटा), जय प्रकाश ठाकुर (रेजेंटा रिज़ॉर्ट), भूपिंदर श्याम (नारकंडा एग्रो एफपीसी), विपिन कुमार (ग्रीन वैली प्रा. लि.), और यशिका (कुडोस लेबोरेट्रीज़) ने सक्रिय भागीदारी की।
नैबकॉन्स की वरिष्ठ सलाहकार शीतल राठौर भी कार्यक्रम में उपस्थित रहीं। नैबकॉन्स के वरुण शर्मा ने RAMP परियोजना पर प्रस्तुति दी, जबकि फ्रॉस्ट एंड सुलिवन के पर्यावरण विशेषज्ञ ऋषिकेश सिंह ने एमएसएमई के हरितकरण पर विस्तृत जानकारी साझा की।
प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी और ज्ञानवर्धक बताते हुए इसकी सराहना की। यह कार्यक्रम न केवल एमएसएमई को तकनीकी रूप से सशक्त करेगा, बल्कि उन्हें हरित, प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ बनाने की दिशा में भी प्रेरित करेगा।