October 16, 2025

धीमान: पीड़ित को न्याय, दोषियों को सजा जरूरी

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हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष कुलदीप कुमार धीमान ने रोहड़ू के लिंमड़ा गांव में एक नाबालिग बच्चे की संदिग्ध मृत्यु के मामले को लेकर स्थानीय प्रशासन के साथ रोहड़ू रेस्ट हाउस में बैठक की और विस्तृत रिपोर्ट तलब की। उन्होंने कहा कि आयोग का प्रमुख उद्देश्य पीड़ित परिवार को न्याय दिलवाना और दलित समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि पुलिस की शुरुआती जांच में गंभीर लापरवाही सामने आई है। 20 सितंबर 2025 को दर्ज की गई एफआईआर में अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धाराओं को शामिल नहीं किया गया था, जबकि मामले की प्रकृति इसके अंतर्गत आती थी।

जांच में लापरवाही बरतने के कारण, मामले के जांच अधिकारी एएसआई मंजीत को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश आयोग ने दिए। साथ ही, एसडीपीओ रोहड़ू की भूमिका को भी असंतोषजनक माना गया और उनसे कारण बताओ नोटिस (explanation) मांगा जाएगा।

आयोग ने यह भी निर्देश दिए कि पीड़ित परिवार को संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए उन्हें सुरक्षा मुहैया करवाई जाए। उन्होंने बताया कि परिवार ने अपनी शिकायत में यह उल्लेख किया था कि मृतक बालक को “अछूत” कहकर घर से बाहर निकालने और घर की “शुद्धि” के लिए बलि की मांग की गई थी, जो कि एक गंभीर सामाजिक अपराध है।

यह भी बताया गया कि जब मामला हाई कोर्ट पहुंचा, तब जाकर पुलिस ने अनुसूचित जाति अधिनियम की धाराएं जोड़ीं, लेकिन मुख्य आरोपित महिला की अब तक गिरफ्तारी नहीं हुई है, जो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है।

अध्यक्ष धीमान ने कहा कि आयोग 1 अक्टूबर से इस मामले पर निगरानी कर रहा है। उन्होंने एसडीपीओ को 3 दिन में रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे, लेकिन रिपोर्ट नियत समय में नहीं सौंपी गई। आखिरकार, 14 अक्टूबर को डीजीपी कार्यालय से रिपोर्ट प्राप्त हुई। आयोग ने इस संबंध में अधिकारियों से पूछताछ की और पीड़ित परिवार के साथ भी बैठक कर घटना की विस्तृत जानकारी प्राप्त की।

उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से ₹4,12,500 की आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई है। आयोग के अध्यक्ष ने दोहराया कि आयोग का मकसद वंचित वर्गों को न्याय दिलवाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू स्वयं इस मामले पर नजर रखे हुए हैं और आयोग को पीड़ित परिवार से मिलने और हरसंभव मदद सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

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