जैसे ही ग्राम वासियों को पता चला की अगामी चुनावों के मध्य नजर सरकार शिक्षा के प्रति ज्यादा ही उदार हो गई है, तो उनके मन में भी शिक्षा की गंगोत्री में डुबकी लगाने का विचार हिलोरे मारने लगा| सबने विचार किया, क्यों न लगे हाथ अपने गाँव में भी एक दसवी तक की पाठशाला खुलवा ली जाए| आनन-फानन में ग्राम प्रधान, पंचायत सदस्य तथा इलाके के अन्य लोग इकठ्ठे होकर मंत्री जी के पास शहर जा धमके और अगामी चुनावों की दुहाई देकर एक उच्च माध्यमिक पाठशाला अपने गाँव के लिए स्वीकृत करवा लाए|
अगले ही दिन ग्राम प्रधान का बेटा जो शहर की उच्च माध्यमिक पाठशाला में हिंदी का अध्यापक था, मंत्री जी के पास पहुंच गया| उसने जाते ही अति उत्साह प्रकट करते हुए उसके गाँव में स्कूल खोलने हेतु मंत्री जी का धन्यवाद किया| परंतु मंत्री जी की अनुभवी व पारखी नज़र को धोखा नहीं दे सका| मंत्री जी ने हंसते हुए कहा, “मास्टर जी आपके गाँव में दसवी तक का स्कूल खुल गया है यह तो हर्ष का विषय है, परंतु आपका चेहरा तो कुछ और ही कहानी कह रहा है|”
मास्टर जी ने खुद को संभाला और चेहरे पर गज़ब की मुस्कान लाते हुए बोले, “नहीं नहीं सर, ऐसी कोई बात नहीं है, आपने हमारे गाँव में उच्च विद्यालय खुलवा कर सचमुच ही बड़ा कार्य किया है, मगर देखना कहीं आप मेरा स्थानांतरण भी मेरे गाँव में ही कर दें|”
मंत्री जी ने हैरान होते हुए चुटकी ली, “कमाल है मास्टर जी, गाँव में स्कूल खोलने के लिए तुम्हारे पिताजी इतने सालों से शोर मचा रहे थे, अब जब तुम्हारे गाँव में स्कूल खुल रहा है तो वहां तुम नहीं पढ़ाओंगे तो और कौन पढ़ायेगा?” “सर, वह तो ठीक है पर मैं अपने बच्चों के साथ कई सालों से शहर में रह रहा हूं, और मेरे बच्चे इंग्लिश मीडियम में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, उनका क्या होगा? मेरे बच्चों का तो कैरियर ही तबाह हो जायेगा, दूसरे मेरी फैमिली भी वहां एडजस्ट नहीं हो पाएगी|” मास्टर जी ने गिडगिडाते हुए कहा|