हम कायरों की तरह डरकर भागेंगे नहीं, हम लड़ेंगे, पूरी ताकत से आखिरी सांस तक लड़ेंगे। बलात्कार के बाद मानसिक पीड़ा और सामाजिक दंश झेलती अंबिका के इस संवाद से बदलते दौर में नारी शक्ति का आभास सहज ही होता है। गुरुवार को अनुकृति रंगमंडल कानपुर और भाषा एवं संस्कृति विभाग, हि.प्र. शिमला के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित गेयटी थिएटर फेस्टिवल में कलाकारों ने नाटक पुरुष का शानदार मंचन किया। लेखक जयवंत दलवी के इस मूल मराठी नाटक का हिंदी रूपांतरण सुधाकर व निर्देशन निशा वर्मा ने किया। नाटक की कहानी शुरू होती है अण्णा साहब आप्टे के घर से जो गांधी जी के विचारों से प्रेरित एक शिक्षक हैं। उनकी अपनी पत्नी तारा के साथ कुछ वैचारिक मतभेद होते हैं, लेकिन वह हमेशा उनका साथ देती है। अण्णा की बेटी अंबिका एक स्कूल में पढ़ाती है। उसका एक दोस्त है सिद्धार्थ, जो दलितों के हक की लड़ाई लड़ता है। नाटक के अगले सीन में बाहुबली नेता गुलाबराव जाधव की एंट्री होती है, जिसके काले- कारनामों को अंबिका कई बार सबके सामने उजागर कर चुकी है।
गुलाबराव अंबिका से बदला लेने के लिए उसको धोखे से डाक बंगले में बुलाकर बलात्कार कर देता है। यह सदमा अंबिका की मां तारा बर्दाश्त नहीं कर पाती और आत्महत्या कर लेती है। बिगड़ते हालात में सिद्धार्थ भी अंबिका का साथ छोड़ देता है। अब अंबिका को अपनी लड़ाई अकेले लड़नी है और वह गुलाबराव को जीवन भर याद रखने वाला सबक सिखाती है। नाटक के अंतिम दृश्य में अंबिका पुलिस को कॉल करती है। इंस्पेक्टर गॉडगिल पूछते हैं ‘क्या तुमने गुलाब राव को मार डाला। अंबिका कहती है नहीं, मैंने उसका पुरुषत्व हमेशा हमेशा के लिए खत्म कर डाला।’ इसी के साथ नाटक का पटाक्षेप होता है। प्रमुख भूमिकाओं में सुरेश श्रीवास्तव (अण्णा साहब आप्टे), महेन्द्र धुरिया (गुलाबराव), जोली घोष (तारा), शुभी मेहरोत्रा (अंबिका), दीपक राज राही (सिद्धार्थ), दीपिका (मथू), शिवी बाजपेई व सिंचित सचान (वकील) का अभिनय बेहतरीन रहा। महेश जायसवाल, प्रमोद शर्मा, नरेन्द्र सिंह राजपूत, शिवेन्द्र त्रिवेदी, दिलीप सिंह सेंगर, कुशल गुप्ता, राजा राम राही, अलख त्रिपाठी ने भी अपने पात्रों के साथ न्याय किया। *मंच व्यवस्था आकाश शर्मा व विजय कुमार भास्कर ने संभाली। प्रस्तुति नियंत्रण, निर्देशन सहयोग व संगीत डा. ओमेन्द्र कुमार का था। सलाहकार निर्देशक कृष्णा सक्सेना की प्रकाश परिकल्पना दृश्यानुकूल रही।
उल्लेखनीय है कि गेयटी थिएटर फेस्टिवल को सफल बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश की अग्रणी नाट्य संस्था संकल्प रंगमंडल शिमला अनुकृति रंगमंडल कानपुर को स्थानीय सहयोग प्रदान कर रही है जिसे देश भर के रंगमंच व रंगकर्मियों के साथ हिमाचल प्रदेश के एक स्वस्थ सांस्कृतिक आदान प्रदान की पहल के रूप में सम्मान से देखा जाना चाहिए 1 कोविड 19 महामारी के दौरान “थिएटर का मक्का ” गेयटी थिएटर वीरान था लेकिन अब यहां के ऐतिहासिक मंच पर रौनक लौटने लगी है और एक से बढ़कर एक नाटक अब प्रस्तुत किए जा रहे हैं और शिमला के रंगमंच ने स्तरीय नाटकों की प्रस्तुतियों और सकारात्मक प्रयासों से कोविड महामारी के रंगमंच पर पड़े नकारात्मक प्रभाव को निष्क्रिय करने में सफलता प्राप्त की है और दर्शकों की बढ़ती संख्या व बेहतर संभावनाएं अब आश्वस्त करती है। कल होंगे ये दो नाटक : तीन दिवसीय गेयटी थिएटर फेस्टिवल के दूसरे दिन दिनांक 19 नवंबर 2021 को दो नाटकों का मंचन किया जाएगा जिसमें से पहला नाटक “जहर” सांय 4 बजे प्रस्तुत किया जाएगा जिसके लेखक पंकज सोनी हैं और प्रवीण अरोडा ने निर्देशन किया है। दूसरा नाटक “मुख्यमंत्री” सांय 5:30 बजे मंचित किया जाएगा जिसके नाटककार विष्णु वामन शिरवाडकर हैं और डॉ० ओमेन्द्र कुमार ने निर्देशन किया है।