कीकली रिपोर्टर, 22 नवंबर, 2018, शिमला
शैमरॉक रोजेंस स्कूल प्रबंधक ने स्कूल के सभी बच्चों को गुरूद्वारा के दर्शन करवाए। साथ ही स्कूल के सभी अध्यापकों ने बच्चों को कच्चीघाटी के समीप गुरूद्वारा के दर्शन के साथ साथ गुरूनानक के बारे भी भी जानकारी दी। स्कूल की प्रधानाचार्य प्रीति चुट्टानी ने बच्चों को बताया कि श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल,1469 में गाँव तलवंडी, शेइखुपुरा डिस्ट्रिक्ट में हुआ जो की लाहौर पाकिस्तान से 65 किमी पश्चिम में स्तिथ है। उनके पिता बाबा कालूचंद्र बेदी और माता त्रिपता नें उनका नाम नानक रखा। उनके पिता गाँव में स्थानीय राजस्व प्रशासन के अधिकारी थे।
अपने बाल्य काल में श्री गुरु नानक जी नें कई प्रादेशिक भाषाएँ सिखा जैसे फारसी और अरबी। उनका विवाह वर्ष 1487 में हुआ और उनके दो पुत्र भी हुए एक वर्ष 1491 में और दूसरा 1496 में हुआ। वर्ष 1485 में अपने भैया और भाभी के कहने पर उन्होंने दौलत खान लोधी के स्टोर में अधिकारी के रूप में निकुक्ति ली जो की सुल्तानपुर में मुसलमानों का शासक था। वही पर उनकी मुलाकात एक मुस्लिम कवी के साथ हुई जिसका नाम था मिरासी।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1496 में उन्होंने अपना पहला भविष्यवाणी किया । जिसमें उन्होंने कहा कि कोई भी हिन्दू नहीं और ना ही कोई मुस्लमान है और कहा कि यह एक महत्वपूर्ण घोषणा है जो ना सिर्फ आदमी के भाईचारा और परमेश्वर के पितृत्व की घोषणा है, बल्कि यह भी स्पष्ट है की मनुष्य की प्राथमिक रूचि किसी भी प्रकार के अध्यात्मिक सिधांत में नहीं है, वह तो मनुष्य और उसके किस्मत में हैं। इसका मतलब है अपने पड़ोसी से अपने जितना प्यार करो।