औद्योगिक विकास को हरित दिशा में ले जाने के उद्देश्य से, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के लगभग 1,900 MSMEs (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों) को संरचित हरित परिवर्तन (Structured Green Transition) से जोड़ने की पहल की जा रही है। भविष्य में यह संख्या 2,500 से अधिक उद्यमों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
यह पहल भारत सरकार की ‘ग्रीनिंग ऑफ MSMEs’ योजना के अंतर्गत की जा रही है, जो RAMP (Raising and Accelerating MSME Performance) कार्यक्रम का हिस्सा है और विश्व बैंक द्वारा समर्थित है।
इस पहल के तहत हिमाचल प्रदेश उद्योग विभाग द्वारा राज्यभर में जागरूकता कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में, 7 अगस्त 2025 को सिरमौर जिले के पौंटा साहिब और कालाअंब में कार्यशालाएं आयोजित की गईं।
इन कार्यशालाओं का आयोजन उद्योग विभाग, फ्रॉस्ट एंड सुलिवन और टिंज कंसल्टेंसी के सहयोग से किया गया। इसमें MSME उद्यमियों को संसाधन-कुशल स्वच्छ उत्पादन (RECP), शून्य उत्सर्जन लक्ष्यों, ESG (पर्यावरण, सामाजिक एवं प्रशासनिक) ढांचे, परिपत्र अर्थव्यवस्था, डिजिटल निगरानी प्रणाली, हरित तकनीकों तक पहुंच, तथा वित्तीय सहायता के विकल्पों के बारे में जानकारी दी गई।
कार्यशालाओं में सिंगल विंडो क्लियरेंस एजेंसी से इकोनॉमिक इन्वेस्टीगेटर बाल मुकुंद और RAMP कंसल्टेंट मातवर ठाकुर उपस्थित रहे। उन्होंने MSMEs को टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल व्यवसाय अपनाने के लिए प्रेरित किया।
हिमाचल चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के चेयरपर्सन सतीश गोयल ने MSMEs के लिए चलाई जा रही हरित पहलों की सराहना करते हुए कहा कि इन योजनाओं का लाभ उन वास्तविक जरूरतमंद उद्यमों तक पहुंचना चाहिए, जिनके लिए ये बनाई गई हैं। उन्होंने प्रक्रिया को सरल और सहज बनाने पर बल दिया।
इस अवसर पर MSME मंत्रालय के सहायक निदेशक (ग्रेड-1), IEDS ए.के. गौतम ने मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं पर एक प्रभावशाली प्रस्तुति दी। उन्होंने MSMEs को पंजीकरण, बाज़ार तक पहुंच, नवाचार, सतत विकास, सरकारी खरीद में भागीदारी, क्रेडिट सुविधा और क्षमता निर्माण जैसे विषयों पर विस्तार से जानकारी दी और आश्वासन दिया कि इच्छुक उद्यमियों को हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।
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