
कीकली संस्था के मीमांसा कार्य क्रम का आखिरी दिन का सत्र मेरी ‘आई लव यू पापा ‘कहानी संग्रह पर बाल पाठकों द्वारा समीक्षा और इस पर लेखक से प्रश्न पूछने का सत्र था, जिसकी सूत्रधार डॉ अंशु कौशल (अंग्रेजी की प्राध्यापिका ) थीं जिन्होंने अपने सूत्रधारीय पक्ष की अनुभवी भूमिका निभाते हुए सत्र को सफल, रोचक बनाया। बच्चों ने कहानियों का गहन अध्ययन करते हुए महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे। यह कहानियां तीन चार वर्ष पूर्व लिखी गई होंगी, जिन्हें याद करते मैं भावविभोर हो गया था। एक बिटिया शायद प्रेम बाला ने, चिड़िया आ दाना खा ‘ कहानी के एक प्रसंग पर प्रश्न पूछा, ‘ चिड़िया को क्यों रंगा गया?’ उत्तर – यह कहानी मेरे समय के वातावरण को आधार मानकर लिखी गई है।
आज की पीढ़ी को कहानी वाला वातावरण काल्पनिक लगता है परन्तु हमारे समय के बच्चे प्रकृति के साथ ही खेलते थे, अगर उस समय मोबाइल फोन होता तो शायद हम भी इस खेल से वंचित रह जाते। आज नई पीढ़ी को,’मदर डे, फादर्स डे, आदि दिन क्यों मनाने पड़ रहे हैं, हमारे समय में बाप गलती करने पर एक ताड़ मारकर याद दिला देते थे कि मैं तेरा बाप हूं।’ प्रेम बाला द्वारा यह प्रश्न पूछना उसकी जिज्ञासा का परिणाम है। मुझे अच्छा लगा। एक बिटिया ने ‘ग्यारह बजे ‘ कहानी में वर्णित प्रकृति चित्रण की प्रशंसा भी की जो उसके प्रकृति प्रेम को दर्शाता है। दूसरे बच्चों ने भी बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न किए हैं मैं उन्हें याद नहीं कर पा रहा हूं। बच्चे अगर इस पोस्ट को पढ़ने पर मेरे से पूछेंगे तो मैं उनका समाधान करने का प्रयत्न करुंगा। कीकली ट्रस्ट साहित्य के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है जिससे बच्चों का झुकाव साहित्य की होगा ही साथ में उनका सर्वांगीण विकास भी होगा। वंदना जी और उनके सहयोगी बधाई बधाई के पात्र हैं। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
गंगा राम राजी