नगर निगम शिमला में यूनाइटेड स्टेट एजेंसी फाॅर इन्टरनेशनल डवेलप्मेंट, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और केन्द्र सरकार के अंतर्गत आपदा प्रबंधन परियोजना कार्य क्रियान्वित किया जा रहा है। जिसके तहत शिमला शहर के लिए आपदा प्रबंधन की 4 नई योजनाएं विकसित की गई है। जिनक जानकारी शिमला नगर निगम के पार्षदों को प्रदान किया जा रही है।
शहरी विकास आवास, नगर नियोजन, संसदीय कार्य, विधि एवं सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज होटल होलिडे होम में नगर निगम पार्षदों के लिए आयोजित आपदा प्रबंधन जागरूकता कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ये विचार व्यक्त किए।उन्होनें बताया कि इन 4 नई योजनाओं के माध्यम से किस प्रकार शिमला नगर वासियों की आपदा के समय में सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है के संबंध में बहुमूल्य जानकारी प्रदान की जा रही है। उन्होनें बताया कि ये 4 नई योजनाओं में सिटी डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान, शिमला शहर के लिए आपदा प्रबंधन योजनाएं, फाॅयर डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान और डिसेबिलिटी प्लान शामिल है। उल्लेखनीय है हिमाचल के शहरों और शहरी निकायों के तहत शिमला नगर में इन योजनाओं को क्रियान्वित करने में पहल की है
उन्होनें बताया कि सिटी डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस दिशा में चल रहे कार्यों एवं राज्य आपदा प्रबंधन योजना और जिला आपदा प्रबंधन योजना को आधार बनाकर इस योजना को विकसित किया गया है। आपदा प्रबंधन के कार्यों में आए बहुत बड़े बदलाव का गहनता से अध्ययन कर विशेष बिंदुओं को इसमें शामिल किया गया है। कोविड काल के उपरांत महामारी आपदा को भी इसमें शामिल किया गया है। जिसमें विशेष मानक संचालनों, आवश्यक सेवाओं के कार्यों की प्रणाली व अन्य जानकारियां इसमें शामिल की गई है।शिमला शहर के विभिन्न वार्डो के लिए आपदा प्रबंधन योजना के अंतर्गत जोखिम, अतिसंवेदनशीलता और आपदा के खतरों को शामिल किया गया है।
इस योजना को नाॅलेज लिंक गाजियाबाद द्वारा बनाया गया है। आपदा के समय आपदा कमेंटियों का आवश्यकता और वालिंटियर की उपयोगिता आपदा के समय नागरिक की सुरक्षा एवं पुनर्वास के लिए कितनी आवश्यक है के बारे में विस्तृत कार्ययोजना तैयार की गई हैं ताकि लोगों की सुरक्षा व पुनर्वास व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके।फायर डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान हिमाचल के शहरों एवं शहरी निकायों में ऐसी पहली योजना है। इसके तहत आगजनी आपदा के दौरान खतरों व क्षमता निर्माण के संदर्भ में जानकारी जुटाई गई है ताकि शहर की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके तहत शिमला शहर के सभी वाटर हाइड्रेंट को चिन्हित कर उनकी गूगल मैपिंग की गई है ताकि लोगों को हादसे के दौरान मलबे में दबे वाटर हाइड्रेंट की स्थिति का पता लग सके और इसका इस्तेमाल आग बुझाने के लिए किया जा सके।
उन्होनें बताया कि एक अन्य योजना डिसेबिलिटी प्लान इस योजना के तहत बनाया गया है। जिसमें आपदा के समय दिव्यांग लोगों के लिए की गई तैयारियों, प्रदान की जाने वाली सुविधाओं व अन्य कार्यों को शामिल किया गया है।
एकदिवसीय जागरुकता कार्यक्रम में नवनीत यादव ने स्वैच्छिक संस्था डियोर के प्रतिनिधि ने शहरी आपदा प्रबंधन योजना तथा अग्नि आपदा प्रबंधन योजना पर जानकारी प्रदान की नाॅलेज लिंक गाजियाबाद की संस्था के प्रतिनिधि शरद पांडे ने वाॅर्ड आपदा प्रबंधन योजना तथा पार्षदों द्वारा इसे समाज की मुख्य धारा में उपयोग करने बारे जानकारी दी। इसी संस्था की कोमल प्रिया सिंह ने अक्षम व्यक्तियों के लिए आपदा प्रबंधन योजना के तहत विभिन्न सिद्धांतों की समझ और इसकी उपयोतिा के संबंध में जानकारी दी। रोहित जम्वाल अध्यक्ष हिमालयन एसोशिएशन फाॅर रिसर्च एंड इनोवेशन ठियोग द्वारा डिजास्टर मैनेजमेंट एप के संबंध में जानकारी दी। उन्होनें बताया कि से एप आवश्यक उपयोगी सेवाओं की मैपिंग के लिए आरम्भ किया गया है। जिसका उद्ेश्य सार्वजनिक शौचालयों, अस्पतालों, स्कूलों, दूकानों आदि की वाॅर्ड में मैपिंग करना है।
बैठक में महापौर शिमल नगर निगम सत्या कौंडल, उपमहापौर शैलेन्द्र चैहान, समस्त पार्षद गण, आयुक्त नगर निगम आशीष कोहली, संयुक्त आयुक्त अजीत भारद्वाज भी उपस्थित थे।