नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने राज्य सरकार पर पंचायत चुनावों को लेकर जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार चुनाव को लेकर स्पष्टता देने के बजाय लोगों को गुमराह कर रही है।
जयराम ठाकुर ने अपने बयान में कहा कि यदि सरकार वास्तव में तय समय पर पंचायत चुनाव करवाने के लिए प्रतिबद्ध है, तो अब तक आरक्षण रोस्टर जारी हो जाना चाहिए था। उन्होंने याद दिलाया कि उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार पंचायत और नगर निकाय चुनावों के लिए आरक्षण रोस्टर चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से कम से कम 90 दिन पहले जारी किया जाना आवश्यक है, ताकि लोगों की आपत्तियाँ और अपीलें समय रहते सुनी जा सकें।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 सितंबर को पंचायती राज सचिव ने सभी जिला उपायुक्तों को 25 सितंबर तक आरक्षण रोस्टर जारी करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक किसी भी जिले में यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। इसके विपरीत, कई जिला उपायुक्तों ने सरकार को चुनाव टालने के लिए पत्र लिखा, जिस पर मुख्य सचिव ने तुरंत कार्रवाई करते हुए चुनाव स्थगन से जुड़ा पत्र जारी कर दिया।
उन्होंने सवाल उठाया कि जब आरक्षण रोस्टर ही समय पर जारी नहीं होगा तो पंचायत चुनाव नियत समय पर कैसे संभव होंगे? क्या सरकार उच्च न्यायालय के “मनीष धर्मेक बनाम हिमाचल स्टेट” मामले में दिए गए आदेशों की अवमानना करने जा रही है?
जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार को झूठ बोलने के बजाय पारदर्शिता अपनानी चाहिए। यदि सरकार समय पर चुनाव नहीं करा सकती तो उसे अपनी नाकामी स्वीकार करनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरा सरकारी तंत्र चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के बजाय उसे टालने में व्यस्त है।
उन्होंने यह भी कहा कि पहले नगर निगम चुनावों को रोकने के लिए सरकार ने अध्यादेश और कानून में संशोधन कर संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन किया था। अब पंचायत चुनावों को लेकर भी वही प्रवृत्ति दिखाई दे रही है।
नेता प्रतिपक्ष ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे पद की गरिमा का ध्यान रखते हुए सच्चाई सामने रखें और पंचायत चुनावों को समय पर संपन्न करवाने के लिए ईमानदारी से कदम उठाएं।




