पेट की जात नहीं
पात नहीं,
रंग भेद की बात नहीं
बाहर भीतर दांत नहीं
इतना सा पेट,
इतना खाता इतना खाता
सारा चट हजम कर जाता।
नाच नाचा के तरह तरह के
तुरप चल चल जाता पेट
पेट दुराचारी,हत्यारा कमीना
गोरख धंधों का माहिर,
तिकड़मबाज,
चोर लुटेरा पेट
पेट,शर्माता नहीं,
लज्जता भी नहीं,
झूठा,फरेबी
तरस किसी पे खाता नहीं
जोड़ तोड़ मार धाड़
और आगजनी कतलेआम से
कभी नहीं घबराता पेट
पेट के हाथ नहीं, साथ नहीं
फिर भी दुनियां के दंगे फसादों में,
बंदर बांट , बंटवारों में
खूब हाथ आजमाता पेट
पेट कभी भूखा नहीं रहता,
दूजो का हिस्सा खा के
खूब चैन की सांसें भरता पेट
पेट के पैर नहीं,
रिश्ते में कोई वैर नहीं
घाट घाट का पी के पानी,
सलीके से जी लेता पेट
पेट ,संवेदनशील नहीं,
आंखें नहीं,नाक नहीं
मंदिर,मस्जिद गुरुद्वारे देखता
करता कोई भेद नहीं,
पहचान बराबर रखता सबकी
कोई रंक राजा,फकीर नहीं
पेट मुखौटे में छिपा
धूर्त शातिर ,चोर लुटेरा
जिसके मुंह में जुबां भी नहीं,
लेकिन फिर भी देखा लार
टपकते पेट
पेट मेरा तुम्हारा उसका
जैसा भी है,
है इक गहरा भेद
क्योंकि, सभी सवालों से जुड़ा हुआ है
ये बेचारा पापी पेट