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तुम कहां चले गए, याद बहुत आती है: डॉo कमल केo प्यासा
क्या कहूं कैसे कहूं किसे बताऊं कैसे बताऊं अंदर की बात तुम थे कुछ खास तुम ही याद आए !
किसे बताऊं किसे सुनाऊं जी तुम बिन है उदास कैसे किस...
डॉo कमल केo प्यासा की कविताएँ: भावनाओं का सफर
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा
हिलोरे
जीवन चक्र केझूले में,झूल हर कोई हिलोरे लेता है।कोई कमकोई अधिक,बस अपने कर्मों काफल वसूल लेता है !
रिश्ते
रिश्तों के जंगल में,घनघोर अंधेरे हैं,निकले किधर...
पेट : डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा
पेट की जात नहींपात नहीं,रंग भेद की बात नहींबाहर भीतर दांत नहींइतना सा पेट,इतना खाता इतना खातासारा चट हजम कर जाता। नाच नाचा के...
पिता : डॉक्टर जय महलवाल द्वारा रचित एक कविता
मां अगर घर की ईंट है,तो पिता समझो पूरा मकान है।मां अगर संस्कार देने वाली है,तो पिता गुणों की खान है।मां अगर अगर करती लाड प्यार है,तो पिता भी हमारी जान...