हिमाचल प्रदेश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ किसानों को उनकी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी दी जा रही है। खेती की लागत कम होने और फसलों के उचित दाम मिलने से किसानों की आय में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे ग्रामीण जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं। प्राकृतिक खेती को अपनाने वाले किसानों को गेहूं, मक्का, हल्दी और जौ जैसी फसलों पर देश में सबसे अधिक एमएसपी प्रदान की जा रही है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए मक्का का MSP ₹30 से बढ़ाकर ₹40, गेहूं का ₹40 से ₹60 और हल्दी का ₹90 प्रति किलो निर्धारित किया गया है।
मुख्यमंत्री सुक्खू की इस पहल के चलते अब तक प्रदेश के 48,685 किसानों ने प्राकृतिक खेती के लिए पंजीकरण करवाया है, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हैं। विभिन्न जिलों में एमएसपी के तहत हजारों क्विंटल फसलें खरीदी जा चुकी हैं, और करोड़ों रुपये की प्रत्यक्ष लाभ अंतरण राशि किसानों के खातों में स्थानांतरित की गई है। रबी सीजन में 2135 क्विंटल गेहूं की खरीद की गई, जबकि खरीफ सीजन में 3989 क्विंटल मक्का और 127.2 क्विंटल हल्दी की खरीद MSP पर सुनिश्चित हुई है।
किसान रूपचंद शर्मा, प्रकाश चंद और तारा कश्यप जैसे किसानों ने प्राकृतिक खेती से हुए लाभ साझा करते हुए बताया कि उन्हें एमएसपी के तहत उपज की बिक्री से सीधे आर्थिक फायदा हुआ है और वे अब गांव में अन्य किसानों को भी प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
प्रदेश सरकार का लक्ष्य है कि 88 विकास खंडों की 3615 पंचायतों से एक लाख किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ा जाए। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीण आजीविका को भी नया बल मिल रहा है। हिमाचल में यह मॉडल न केवल किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में अहम है, बल्कि यह राज्य को देश में प्राकृतिक खेती और टिकाऊ कृषि के क्षेत्र में अग्रणी बना रहा है।