राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 के तहत स्थानीय स्तरीय समिति की बैठक उपायुक्त शिमला अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित की गई। इस बैठक में 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले दिव्यांगजनों को कानूनी संरक्षक की अनुमति दी गई।
इस दौरान उपायुक्त ने कहा कि जिला भर के दिव्यांगजनों के लिए विशेष कार्यशाला का आयोजन शिमला में किया जाएगा। इस कार्यशाला में दिव्यांगजनों के अभिभावकों या कानूनी संरक्षकों को विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाएगा। कार्यशाला में दिव्यांगजनों को दी जाने वाली सुविधाओं और उनके कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं आदि के बारे में विस्तृत में बताया जाएगा। इसके अलावा, अभिभावकों से धरातल पर आने वाली चुनौतियों के बारे में चर्चा की जाएगी। कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग, मनोचिकित्सक, एनजीओ, विभिन्न हितधारकों के विशेषज्ञ भी अपने विचार रखेंगे।
किसी भी दिव्यांग के अधिकारों का न हो हनन
उपायुक्त ने बैठक में निर्देश दिए कि दिव्यांगजनों के अधिकारों और सुविधाओं की निगरानी समय-समय पर सुनिश्चित की जाए। किसी भी दिव्यांग के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। अगर इस तरह के मामले सामने आते हैं तो प्रशासन सख्त कारवाई अमल में लाएगा। बैठक में जिला कल्याण अधिकारी केवल राम, डॉ अनिल चौहान, डॉ लेख राम शर्मा, नरेंद्र गर्ग सहित अन्य गणमान्य मौजूद रहे।ये है प्रावधान
राष्ट्रीय न्यास अधिनियम 1999 के तहत चार प्रकार की बीमारियों जिसमें मानसिक मंदता, स्वलीनता, प्रमस्तिक और विविध विकलांगता शामिल है। इनमें से किसी भी बीमारी से ग्रसित दिव्यागंजनों को कानूनी संरक्षक मुहैया करवाया जाता है। जिन दिव्याजनों की आयु 18 वर्ष से अधिक हो । उनके लिए कानूनी संरक्षक नियुक्त किए जाते है। कानूनी संरक्षक में माता पिता, भाई बंधु अथ गैर सरकारी संस्था भी हो सकते है।
134 दिव्यांगजनों को दिए जा रहे कानूनी संरक्षक
जिला शिमला में अभी तक 127 दिव्यांगजनों के लिए कानूनी संरक्षक बनाया गया था। इसमें शिमला शहरी से 42, शिमला ग्रामीण 11, सुन्नी 15, ठियोग 08, कुमारसैन 05, रामपुर 08, ननखड़ी 02, चौपाल 12, कोटखाई 09, जुब्बल 08, रोहड़ू 08 और चिढ़गांव में 01 दिव्यांगजन शामिल है। इसके अलावा 7 नए मामलों जिसमें कुमारसैन से 01, रोहड़ू से 02, शिमला ग्रामीण से 02, चौपाल और सुन्नी से 01-01 मामले में कानूनी संरक्षक नियुक्त किया गया। ऐसे में अब जिला में कुल 134 दिव्यांगजनों को कानूनी संरक्षक दिए जा चुके है। वहीं दो मामले में कानूनी संरक्षक बदलने को भी मंजूरी दी जा चुकी है।