एस. एफ. आई हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग में रिक्त पड़े पदों को गेस्ट लेक्चरर या फिर पार्ट टाइम अध्यापकों के माध्यम से भर्ती करने के फैसले का विरोध करते हुए इसे तुरंत वापस लेने मांग की है । हिमाचल प्रदेश सरकार केंद्र की भाजपा सरकार के आगे घुटने टेक चुकी है। इसलिए यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी शिक्षा व्यवस्था को तबाह करने वाली नीति को हिमाचल प्रदेश में लागू करने पर उतारू हो रही है।
यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ही नतीजा है कि आज हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में रिक्त पदों को नियमित आधार पर ना भरते हुए वहां पर गेस्ट लेक्चरर के नाम से पार्ट टाइम अध्यापकों की भर्ती की जा रही है । यह एक और शिक्षा की गुणवत्ता के साथ एक बहुत बड़ा खिलवाड़ है तो दूसरी तरफ प्रदेश के युवाओं के साथ भी एक भद्दा मजाक होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्लाज 5.7 इस तरह की भर्तियों को मंजूरी देता है। शिक्षक वीर इसी नीति का नतीजा था । जिसका विरोध होने के बाद प्रदेश सरकार ने शिक्षक वीर नीति के बारे में चर्चाओं को अफवाह बताते हुए आश्वासन दिया था कि इस तरह की कोई नीति प्रदेश सरकार नहीं ला रही है।
परंतु ठीक कुछ महीनों बाद अप्रत्यक्ष रूप से प्रदेश सरकार उसी शिक्षक वीर नीति को लागू कर रही है। एस. एफ. आई का मानना है कि प्रदेश के छात्रों व 2 वर्ष के लिए नियुक्त होने वाले शिक्षकों के साथ सरासर ग़लत व अन्याय हो रहा है। क्योंकि इस से न छात्रों को गुणवत्ता वाली शिक्षा हासिल होगी और न शिक्षको के पास स्थाई व सुरक्षित रोजगार । periodic labour force survey ( PLFC) के सर्वे के अनुसार हिमाचल प्रदेश 15 से 29 वर्ष की आयु के शहरी बेरोजगारी चार्ट में 33.9% के साथ प्रथम स्थान पर है । ऐसे में प्रदेश सरकार युवाओं को स्थाई व सुरक्षित रोजगार देने के बजाय प्रदेश के युवाओं के साथ भद्दा मजाक कर रही है।
एक तरफ सरकार बोल रही है कि हम प्रदेश में पुरानी पेंशन नीति बहाल करके सभी सरकारी कर्मचारियों को पेंशन सुविधा देंगे । तो वही दूसरी और प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग में 11000 रिक्त पड़े पदों को स्थाई रूप से भरने में अपने हाथ पीछे खींच रही है। यहां से साफ झलकता है कि जब स्थाई नियुक्ति नहीं होंगी तो पैंशन जैसी सुविधाएं भी नही मिलेगी। प्रदेश सरकार प्रदेश की इस भर्ती प्रक्रिया का जिसका एस. एफ. आई स्पष्ट रूप में विरोध करती है। इस नीति की चयन प्रक्रिया भी बहुत सवाल खड़े करती है। क्योंकि चयन तो मेरिट के आधार पर होगा लेकिन साक्षात्कार शिक्षा निदेशालय में ही होगा । जो साफ तौर पर दिखाता है कि जो सरकार के चेहते होंगे उनको प्राथमिकता दी जायेगी ।
यह सीधे तौर पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का काम करेगी । एस. एफ. आई का मानना है। कोई भी भर्ती बिना कमीशन के नही होनी चाहिए और कमीशन के माध्यम से हुई सभी भर्तियां नियमित आधार पर होनी चाहिए। लेकिन अगर सरकार इस फैसले को तुरंत वापिस नही करती है । तो एस. एफ. आई आने वाले समय में सभी छात्रों व युवाओ को लामबंद करते हुए आंदोलन करेगी जिसकी जिम्मेवार सरकार होगी ।