March 13, 2025

सरोजिनी नायडू को ही कहते हैं: बुल बुल ए हिंद और कोकिल ए हिंद

Date:

Share post:

डॉo कमल केo प्यासा
प्रेषक : डॉ. कमल के . प्यासा

जी हां,हिंद की बुल बुल या भारत की कोकिला कहलाने वाली यह महान हस्ती ओर कोई नहीं हमारी वीरांगना ,स्वतंत्रता सेनानी,जन सेविका व कवित्री सरोजिनी नायडू ही है। बुल बुल और कोकिल की मधुर वाणी वाली सरोजिनी नायडू का जन्म हैदराबाद में एक बंगाली परिवार के यहां 13 फरवरी ,1879 को हुआ था। सरोजिनी नायडू की माता का नाम श्रीमती वारदा सुंदरी देवी था जो कि एक अच्छी लेखिका ,कवि व नर्तकी भी थी, पिता का नाम डॉक्टर अघोर नाथ चट्टोपाध्याय था और वह हैदराबाद निज़ाम कॉलेज के प्रिंसिपल थे।सरोजिनी के अपने दो भाई व एक बहिन भी थी।

मद्रास से मैट्रिक परीक्षा प्रथम स्थान के साथ ,पास करने के पश्चात वह उच्च शिक्षा के लिए निजाम की छात्रवृति (प्रथम स्थान प्राप्त करने के कारण)से इंग्लैंड चली गई और वहां पर उसने कैंब्रिज विश्विद्यालय व ग्रिटन कॉलेज कैंब्रिज से शिक्षा प्राप्त की।सरोजिनी के पिता चाहते थे कि उनकी बेटी गणित या विज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त करे,लेकिन बेटी की रुचि उधर साहित्य में कविता लिखने की ओर हो गई थी। इंग्लैंड में ही साहित्य की रुचि के कारण उसका परिचय वहां के बड़े बड़े लेखकों से होने लगा था,उसके परिचय में वहां के प्रसिद्ध व जाने माने कवि आर्थर साइमन व एडमंड गोडसे शामिल थे।

जिनसे उसने कई एक कविता लेखन की बारीकियां सीख कर कविता लेखन शुरू कर दिया था। अपनी 12 वर्ष की आयु में ही उसने “लेडी ऑफ द लेक “शीर्षक से कविता लिख कर विशेष नाम अर्जित कर लिया था।सरोजिनी नायडू की कविताओं में देश भक्ति,त्रासदी,जोश, गहर गंभीर विचार,बाल जीवन की अभिलाषाएं व क्रांतिकारी विचार देखे जा सकते हैं।सरोजिनी की अपनी मधुर वाणी और कोमल व शांत सुन्दर गायन आदि के कारण ही तो राष्ट्र पिता महात्मा गांधी ने उसे भारत कोकिला व बुल बुल ए हिंद का उपनाम दिया था।इन्हीं सभी खूबियों के कारण ही तो सरोजिनी को नाइटिंगेल के नाम से भी तो पुकारा जाता था।वर्ष 1898 में 15 वर्ष की आयु में सरोजिनी नायडू का अंतरजातीय विवाह डॉक्टर गोविंद राजुलू से कर दिया गया था,जिसके लिए सरोजिनी के पिता ने भी कोई आपत्ति नहीं की थी।

सरोजिनी के कविता लेखन की रुचि के साथ ही साथ उसे समाज सेवा,स्वतंत्रता आंदोलनों,महिला आंदोलनों आदि में भी बढ़ चढ़ कर भाग लेने की जिज्ञासा रहती थी।तभी तो वर्ष 1905 में ,बंगाल विभाजन के समय वह उस आंदोलन में सबसे आगे थी।क्योंकि उस पर डॉक्टर गोपाल कृष्ण गोखले के आदर्शों व उनके समर्पण से कार्य करने का प्रभाव पड़ चुका था।इसके परिणाम स्वरूप ही वह कई एक क्रांतिकारियों और देश भक्तों से मिल कर क्रांति कारी आंदोलनों में खुले रूप में भाग लेने लगी थी।उसके परिचय का दायरा भी दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था ।उसके परिचय में साहित्यकार रवींद्रनाथ टैगोर,मुहम्मद अली ज़िन्नहा, एनी बेसेंट, सी 0पी 0 रामास्वामी,राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व पंडित जवाहर लाल नेहरू आदि बड़े बड़े नेता शामिल थे।

राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी के संपर्क में आने से ही वह सीधे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ी थी और उनके सत्य अहिंसा व सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने लगी थी,फिर वर्ष 1920 में असहयोग आंदोलन के दौरान ही सरोजिनी को गिरफ्तार कर लिया गया था।सरोजिनी की उत्सुकता और साहसिक कार्यों को देखते हुवे उसे वर्ष 1925 में कानपुर राष्ट्रीय कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में पार्टी की पहली महिला अध्यक्षा के रूप में चयनित किया गया था। वर्ष 1930 में जिस समय महात्मा गांधी द्वारा नमक के लिए आंदोलन चला रखा था तो सरोजिनी नायडू भी उस आंदोलन में गांधी जी के साथ शामिल हो गई थी।जिस समय महात्मा गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया तो ,उनकी अनुपस्थिति में सरोजिनी ने ही घरासना सत्याग्रह का नेतृत्व किया था।आगे फिर वर्ष 1931 में द्वितीय गोल मेज कॉन्फ्रेंस जो कि इंग्लैंड में होने जा रही थी ,उसमें भी सरोजिनी महात्मा गांधी जी के साथ वहां पहुंच गई थी।1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी इनकी भूमिका को भुलाया नहीं जा सकता,क्योंकि सरोजिनी ने कई एक महिलाओं को जागृत करके अपने साथ आंदोलन में शामिल कर लिया था।

महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने में भी सरोजिनी नायडू की विशेष भूमिका किसी से छिपी नहीं है।उसने बाल विवाह के विरुद्ध,महिला समानता ,महिला मुक्ति,महिला शिक्षा,सती प्रथा, बाल व महिला मजदूरी,महिला संपति अधिकार व अन्य कई तरह के महिलाओं से संबंधित मामलों के लिए खुल कर आवाज उठाते हुवे ,हर प्रकार से महिलाओं की वकालत की थी।उसके इन्हीं सभी कार्यों के परिणाम स्वरूप ही ,स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात उत्तर प्रदेश की प्रथम महिला राज्यपाल बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ था और इसी पद पर अपनी सेवाएं देते हुवे ,2 मार्च ,1949 को हृदय गति के रुक जाने से इस संसार से विदा हो गईं थीं। सरोजिनी नायडू को हिंदी,अंग्रेजी,फारसी,तेलगु व बंगाली के साथ ही साथ कई एक अन्य भाषाओं का भी अच्छा ज्ञान था।इनकी लिखित पुस्तकों में कुछ मुख्य पुस्तकें इस प्रकार से पढ़ी जा सकती हैं:

  1. द गोल्डन थ्रेशोल्ड।
  2. द फेदर ऑफ डॉन।
  3. द वर्ड ऑफ टाइम।
  4. द ब्रोकन विंग।
  5. द सेप्ट्रेड फ्लूट व
  6. इन द बाजार ऑफ हैदराबाद आदि।
    यदि इनको मिले सम्मानों व पुरस्कारों की बात की जाए तो सरोजिनी नायडू को ब्रिटिश सरकार द्वारा प्लेग बीमारी के समय (बचाव कार्यों में की गई )सेवाओं के लिए विशेष रूप से केसर ए हिंद की उपाधि से सम्मानित किया गया था।इन्हीं का एक फारसी नाटक मेहर मुनीरउस समय आम चर्चा में रहा था।महिलाओं के प्रति इनकी सेवाओं को ध्यान में रखते हुवे,इनकी जयंती को महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।वहीं 13 फरवरी,1964 को इनकी याद में भारतीय डाक तार विभाग द्वारा 15 पैसे का टिकट भी जारी किया था।एक क्रांति कारी वीरांगना,स्वतंत्रता सेनानी,कवित्री स्वर कोकिला व जन सेविका सरोजिनी नायडू के प्रति यही तो असली श्रद्धांजलि है।हम सभी देश वासियों की ओर से स्वर कोकिला सरोजिनी नायडू को शत शत नमन।

सरोजिनी नायडू को ही कहते हैं: बुल बुल ए हिंद और कोकिल ए हिंद

Daily News Bulletin

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related articles

Holi Festivities at Shemrock Buttercups: Kids Play with Flowers & Dance in Joy!

The festival of Holi was celebrated with great enthusiasm at Shemrock Buttercups Pre-School, Khalini. The young children enjoyed...

Himachal on High Alert! War Against Drug Abuse

The monthly meeting of the Himachal Pradesh State AIDS Control Society was held today under the chairmanship of...

Sujanpur Holi Fair Declared as an International Event!

While presiding over the first cultural evening of the National-level Sujanpur Holi Fair in Hamirpur district late evening...

Sainik School Sujanpur to Get Synthetic Track & Increased Budget

Chief Minister Thakur Sukhvinder Singh Sukhu visited the Sainik School in Sujanpur Tihra of District Hamirpur today and...