कीकली रिपोर्टर, 23 जून, 2019, शिमला

शिमला ब्रिटिश काल से ही सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है, तत्कालीन समय से ही पूरे देश के साहित्य, सांस्कृतिक व अन्य कलाओं से संबंधित शीर्ष लोग शिमला में आकर रचनात्मक कार्य किया करते थे। यह विचार शिक्षा, विधि एवं संसदीय मामले मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित शिमला इंटरनेशनल लिटरेचर फेस्टिवल-2019 के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के अवसर पर अपने संबोधन में व्यक्त किए।

सुरेश भारद्वाज ने कहा कि इस प्रकार के साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रदेश व शिमला की संस्कृति की निरंतरता को बनाए रखने में सहायक होते हैं। विख्यात गौथिक शैली में निर्मित गेयटी थियेटर देश के रंगकला कर्मियों द्वारा आज भी प्रदर्शन के लिए पहली पसंद माना जाता है। रंगमंच और फिल्म जगत की प्रख्यात हस्तियों द्वारा इस थियेटर में अपने नाटकों का प्रदर्शन किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यटकों को शिमला के ऐतिहासिक धरोहर विरासतों तथा माल रोड पर स्थित विभिन्न धरोहर भवनों के संबंध में भी जानकारी ऐसे आयोजनों से प्राप्त होती है।

उन्होंने कहा कि इस उत्सव में पूरे देशभर से आए साहित्यकार व चिंतक दो दिन तक विभिन्न विषयों पर चर्चा व चिंतन करेंगे, जिसके निष्कर्ष से अवश्य ही शिमला, प्रदेश व देश के साहित्यिक तथा सांस्कृतिक जगत को लाभ मिलेगा। उन्होंने आयोजकों को इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए बधाई दी।

सचिव भाषा कला एवं संस्कृति विभाग डॉ. पुर्णिमा चैहान ने कहा कि दो दिवसीय इस कार्यक्रम में साहित्य, कला व संस्कृति से जुड़े 120 सं अधिक विद्वान विभिन्न विषयों पर परस्पर संवाद कायम करेंगे। उन्होंने कहा कि गेयटी थियेटर के एम्फी थियेटर को कलाकारों, साहित्यकारों तथा अन्य लोगों को विचारों के आदान-प्रदान तथा कला प्रदर्शन के लिए कम दरों पर उपलब्ध करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिमला नगर व अन्य क्षेत्रों से आए कलाकार तथा कला व साहित्य से जुड़े लोग एम्फी थियेटर में अपनी कला को बेहतर रूप में प्रदर्शित कर सकेंगे।

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