जिला शिमला के पांच प्रमुख मंदिरों — तारा देवी, संकट मोचन, जाखू, हाटकोटी और भीमाकाली मंदिर सराहन — में अब श्रद्धालुओं को परोसे जाने वाले भंडारे (प्रसाद) की गुणवत्ता और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की ‘भोग योजना‘ (Blissful Hygienic Offering to God) लागू की जाएगी। उपायुक्त अनुपम कश्यप की अध्यक्षता में आयोजित विशेष बैठक में इस योजना को लागू करने का निर्णय लिया गया। योजना के अंतर्गत मंदिरों में भंडारा निर्माण और वितरण केवल पंजीकरण एवं एफएसएसएआई से लाइसेंस प्राप्त करने के बाद ही किया जा सकेगा। रसोई में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट अनिवार्य किया गया है, जिससे भोजन की सुरक्षा और क्रॉस-संदूषण से बचाव सुनिश्चित हो सके। खाद्य सुरक्षा मानकों के पालन हेतु रसोई की स्वच्छता, कच्ची सामग्री की गुणवत्ता, जल व्यवस्था और अपशिष्ट प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त, शिमला शहर के तीन प्रमुख मंदिर परिसरों में 24 घंटे की सीसीटीवी निगरानी व्यवस्था लागू की गई है, जिसका लॉगिन अधिकार डीसी कार्यालय को सौंपा गया है, ताकि उपायुक्त स्वयं सुरक्षा और पारदर्शिता की निगरानी कर सकें। इस निर्णय से जुड़ी बैठक में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी (कानून एवं व्यवस्था) पंकज शर्मा, प्रोटोकॉल एडीएम ज्योति राणा, एसडीएम ग्रामीण मंजीत शर्मा, सहायक आयुक्त देवी चंद ठाकुर एवं एफएसएसएआई प्रतिनिधि धर्मेंद्र सहित कई अधिकारी उपस्थित रहे। ‘भोग योजना’ के अंतर्गत मंदिरों को एफएसएसएआई पोर्टल पर पंजीकरण, निरीक्षण और खाद्य हैंडलरों को FOSTAC प्रशिक्षण दिलाना अनिवार्य होगा, जिससे व्यक्तिगत स्वच्छता, तापमान नियंत्रण और खाद्य सुरक्षा संबंधी उपाय सुनिश्चित किए जा सकें। यह पहल न केवल श्रद्धालुओं को शुद्ध और सुरक्षित प्रसाद उपलब्ध कराएगी, बल्कि मंदिर प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही को भी मजबूती प्रदान करेगी।
Himachal Launches TIPC to Accelerate Large-Scale Tourism Projects