शिमला में विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर दि बिगनर्स सोसाइटी और हिमाचल प्रदेश के भाषा एवं संस्कृति विभाग ने गेयटी थियेटर में एक उत्कृष्ट कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में भारती कुठियाला, फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सदस्य और हिम सिने सोसाइटी के उपाध्यक्ष ने “गेयटी के रंगचर” नामक पुस्तक का विमोचन किया। पद्म श्री बलवन्त ठाकुर, डॉ. रीता वशिष्ट, एस एन जोशी जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने इस अवसर पर अपना साथ दिया।
पद्मश्री बलवंत ठाकुर ने इस कार्यक्रम में मुख्याध्यापक के रूप में भाग लिया और रंगमंच के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि रंगमंच के लिए पर्याप्त प्रकार का जोश और प्रेम होना जरुरी है। रंगमंच समाज को परिभाषित और प्रदर्शित करता है और इसके लिए समृद्ध होना आवश्यक है। उपस्थित विशेषज्ञों ने संवाद के महत्व को बढ़ावा दिया। भारतीय विधि आयोग के सदस्य सचिव, डॉ. रीता वशिष्ठ ने रंगकर्मियों के साथ नये अहसास की बात की।
निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की तरफ से आरती गुप्ता ने पुरानी यादों को ताजा किया और बलवंत ठाकुर द्वारा निर्देशित नाटक की महत्ता को उजागर किया। भाषा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक, डॉ. पंकज ललित ने रंगकर्मियों के साथ अभिवादन किया और उन्हें विभागीय कार्यवाही के बारे में संशोधित करने का आश्वासन दिया। अध्यक्ष श्रीनिवास जोशी जी के अध्यक्षता में रंगमंच के विभिन्न आयामों पर प्रबोधन कार्यक्रम में बहुतायत ज्ञान साझा किया गया।
अध्यक्ष श्री श्रीनिवास जोशी जी के अध्यक्षता में रंगमंच के विभिन्न आयामों पर प्रबोधन कार्यक्रम में बहुतायत ज्ञान साझा किया गया।कार्यक्रम में अनेक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को भी अभिनय का मंच मिला। नाटक “द्रौपदी” का एकल अभिनय भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया, जिसे असीमा भट्ट ने निर्देशित किया। इसके साथ ही, दि बिगनर्स सोसाइटी ने “विस्टी लाणी” और “प्रपोज़ल” नाटकों का पहाड़ी रूपांतरण प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में अनेक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को भी अभिनय का मंच मिला। नाटक “द्रौपदी” का एकल अभिनय भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया, जिसे असीमा भट्ट ने निर्देशित किया। इसके साथ ही, दि बिगनर्स सोसाइटी ने “विस्टी लाणी” और “प्रपोज़ल” नाटकों का पहाड़ी रूपांतरण प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्व उपस्थित थे, जैसे कि प्रवीण चंदला, कमल मनोहर शर्मा, भूपेंद्र शर्मा, दयाल प्रसाद, धीरज रघुवंशी, नीरज रघुवंशी, संजय सूद, जवाहर कॉल, केदार ठाकुर, शौर्य वीर सागर, तेजू शर्मा, नीरज पाराशर, रूपेश भीमटा, कपिल देव शर्मा, श्रुति रोहटा, तनु प्रिया भारद्वाज, संजीव अरोड़ा, सनम सोनू सामटा, पलक शर्मा, कृतिका, कर्नल रमेशशर्मा सोलन, राधा सिंह, और स्नेह नेगी। अर्श ठाकुर के प्रभावशाली मंच संचालन ने कार्यक्रम को और भी प्रभावशाली बनाया। इस कार्यक्रम ने रंगमंच के महत्व को उजागर किया और साथ ही सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को बढ़ावा दिया। यह कार्यक्रम नाटक और कला प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अनुभव साबित हुआ।