मानविका चौहान, डेज़ी डेल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, ईस्ट ऑफ कैलाश, नई दिल्ली

कभी छोटी-सी यह चिड़िया भी
मुस्कुराई होगी

कभी उसने भी यह दुनिया
देखने की इच्छा जताई होगी
क्या पता था उस नन्ही सी जान को
की समय ने कौन सी लीला रचाई होगी।।
क्या पता था उसे की यह
छोटा-सा पिंजरा उसकी दुनिया बन जाएगा
अब उसे हंसने का भी कर्ज चुकाना
पड़ जाएगा।।
कभी यह छोटी सी चिड़िया भी
अपने उदास मन में याद करेगी
क्या पता था मां कि यह दुनिया
इतनी ज़ालिम निकलेगी
मुझे गिर के उठने का
मौका भी ना देगी
मैंने सपने तो बहुत से देखे थे मगर
कभी यह न सोचा सोचा था कि
इन सपनों की भी कीमत चुकानी होगी
कभी छोटी-सी यह चिड़िया भी
मुस्कुराई होगी
कभी उसने भी यह दुनिया
देखने की इच्छा जताई होगी ।।
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