राज्य स्तरीय 9वीं मेगा मॉक ड्रिल के अंतर्गत जिला शिमला के सभी उप-मंडलों में आज व्यापक मॉक अभ्यास का आयोजन किया गया। इसका उद्देश्य आपदा प्रबंधन प्रणाली की तैयारियों को परखना, विभागीय समन्वय को सुदृढ़ करना और जनता को आपात स्थिति में सही प्रतिक्रिया हेतु जागरूक करना रहा।
शिमला (शहरी उपमंडल) के विकास नगर में आगजनी की मॉक स्थिति में पेट्रोल पंप को क्षति पहुंची, जहाँ दो लोगों को बचाया गया और एक की मृत्यु हुई। वहीं पोर्टमोर स्कूल में भवन ढहने की मॉक आपदा में 35 लोगों का रेस्क्यू किया गया।
सुन्नी उपमंडल के कालीघाट क्षेत्र में बाढ़ आपदा के परिप्रेक्ष्य में मॉक ड्रिल आयोजित की गई जिसमें 28 लोग घायल और 4 लोगों की मृत्यु दर्शाई गई। ठियोग के छैदला क्षेत्र में भूस्खलन आपदा पर आधारित ड्रिल में 32 लोगों का सफल रेस्क्यू किया गया और 7 की मृत्यु बताई गई।
कोटखाई के परिवहन निगम बस अड्डे पर भूस्खलन की स्थिति में 4 बसों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया। रोहड़ू के समोली क्षेत्र में स्कूल भवन में बाढ़ की आपदा दर्शाई गई, जिसमें 45 छात्र और 3 अध्यापक सुरक्षित बाहर निकाले गए।
डोडरा क्वार में भूस्खलन से स्कूल भवन को क्षति पहुंची, जहां से 25 छात्र और 5 अध्यापक रेस्क्यू किए गए। चौपाल में आयोजित मॉक ड्रिल में 6 घायलों को अस्पताल भेजा गया और 2 की मृत्यु दिखाई गई।
कुपवी के सलाह में भूस्खलन के कारण फंसे 250 लोगों को बचाया गया। इस अभ्यास में 11 लोगों की मृत्यु और 18 मवेशियों के मारे जाने का परिदृश्य प्रस्तुत किया गया। कुमारसैन के नोग कैंची क्षेत्र में आईटीआई भवन क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में 55 छात्रों और शिक्षकों को सुरक्षित निकाला गया।
जुब्बल उपमंडल में भूस्खलन की मॉक स्थिति के अंतर्गत लगभग 100 लोगों के फंसे होने की सूचना पर प्रशासन द्वारा तेजी से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसमें 16 घायल निकाले गए। इनमें से 9 को गंभीर चोटें आईं जिन्हें उच्च चिकित्सा संस्थान भेजा गया।
रामपुर क्षेत्र में भूकंप और सतलुज नदी में अचानक आई बाढ़ से 24 लोगों को रेस्क्यू कर पदम स्कूल मैदान में लाया गया। मेडिकल टीम द्वारा 7 को रेफर किया गया, 1 व्यक्ति को मृत घोषित किया गया, जबकि शेष 16 को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दी गई।
इस राज्य स्तरीय मॉक ड्रिल में एनडीआरएफ, आईटीबीपी, पुलिस, अग्निशमन, स्वास्थ्य, राजस्व सहित कई विभागों ने भाग लिया। अभ्यास के दौरान यह प्रदर्शित किया गया कि प्राकृतिक आपदा, आगजनी या भवन क्षति जैसी घटनाओं में किस तरह से त्वरित और समन्वित कार्रवाई द्वारा जानमाल की रक्षा की जा सकती है।