मुख्यमंत्री सुक्खू ने किन्नौर जिले के सीमावर्ती क्षेत्र शिपकी-ला में सीमा पर्यटन गतिविधियों का औपचारिक शुभारंभ किया। इस पहल से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय समुदायों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी।
जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने रक्षा मंत्रालय से लेपचा, शिपकी-ला, गिऊ और रानी कंडा जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन की अनुमति मांगी थी, जिसकी स्वीकृति मिलने के बाद यह पहल शुरू की गई है।
मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि वे कैलाश मानसरोवर यात्रा को शिपकी-ला मार्ग से शुरू करने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध करेंगे, और इस संबंध में स्वयं प्रधानमंत्री से मुलाकात कर प्रस्ताव रखेंगे। उन्होंने इसे यात्रा का सबसे सुगम मार्ग बताया।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भारत-चीन व्यापार, जो 2020 से शिपकी-ला के माध्यम से बंद है, उसे पुनः शुरू करने की आवश्यकता है, ताकि व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहन मिल सके।
सीमा क्षेत्रों में हवाई अड्डे की स्थापना, हिमाचल स्काउट बटालियन के गठन और इनर लाइन परमिट सिस्टम को समाप्त करने जैसे मुद्दों को भी राज्य सरकार केंद्र के समक्ष उठाएगी। इससे पर्यटन सुगम होगा और पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी।
मुख्यमंत्री ने वांगतू-अटरगू-मुद-भावा दर्रे को जोड़ने वाली सड़क के लिए राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड से मिली मंजूरी का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे शिमला और काजा के बीच दूरी 100 किमी तक कम हो जाएगी।
आई.टी.बी.पी. के साथ क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं, हेलीपैड के उपयोग और सुरक्षा बलों की भागीदारी को लेकर भी मुख्यमंत्री ने विचार-विमर्श किया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने सरहद वन उद्यान का भी उद्घाटन किया और इंदिरा गांधी प्वाइंट का दौरा किया।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए शिपकी-ला में पर्यटन सुविधाओं को बढ़ाने और ऑन-डिमांड बस सेवा शुरू करने की मांग रखी।
इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ-साथ महिला मंडलों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए।