उमा ठाकुर, पंथाघाटी, शिमला
कुल का दीपक, घर का चिराग,
माँ की छाँव, पिता का ताज,
होते हैं बेटे ।
बहन का गुमान,
राखी की लाज,
अपनों का अभिमान,
होते हैं बेटे ।
बेटी गर, सौभाग्य है तो,
भाग्य होते हैं बेटे ।
गर संस्कारी स्वाभिमानी बने,
तो जीवन मूल्यों का,
सार होते हैं बेटे ।
शानदार