हिमाचल प्रदेश सरकार अब अनाथ बच्चों की शादी का खर्च भी अपने कंधों पर ले रही है। मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना के तहत ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ को शादी के लिए ₹2 लाख की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इस सहायता राशि में से ₹60,000 की राशि फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) के रूप में सुरक्षित रखी जाती है, ताकि भविष्य में किसी आपात स्थिति में इसका उपयोग किया जा सके।
शिमला जिले में इस वित्तीय वर्ष में अब तक 5 लाभार्थियों को यह सहायता दी जा चुकी है, जबकि प्रदेशभर में ऐसे कुल 227 बच्चे अब तक इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं। यह योजना उन बच्चों के लिए एक आशा की किरण बन कर सामने आई है, जिनके माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं।
केस स्टडी 1: विभूति मस्ताना की कहानी
शिमला जिले के जुब्बल खंड के कोठी गांव की रहने वाली विभूति मस्ताना के माता-पिता का कुछ समय पहले निधन हो गया था। योजना की जानकारी मिलने के बाद विभूति ने दस्तावेजों के साथ आवेदन किया। विवाह से पहले तक उन्हें हर महीने ₹4,000 की सहायता मिलती रही। बाद में जब उनका विवाह तय हुआ, तो योजना के तहत ₹2 लाख की वित्तीय सहायता प्राप्त हुई।
विभूति ने बताया कि इस सहायता से न केवल उनकी शादी के खर्च पूरे हुए, बल्कि उन्हें ₹60,000 की एफडी भी मिली जो भविष्य में जरूरत पड़ने पर काम आएगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में यह योजना अनाथ बच्चों के लिए एक बड़ी राहत है और इससे उन्हें समाज में आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है।
केस स्टडी 2: पूजा ठाकुर की कहानी
शिमला ग्रामीण की पूजा ठाकुर, जिनके माता-पिता का देहांत उनके बचपन में ही हो गया था, का पालन-पोषण उनकी चाची ने किया। योजना शुरू होने पर पूजा ने इसके लिए आवेदन किया और उन्हें भी मासिक ₹4,000 की आर्थिक सहायता मिलने लगी। जमा दो की पढ़ाई पूरी करने के बाद, जब पूजा का रिश्ता तय हुआ, तो उन्हें भी ₹2 लाख की राशि शादी के लिए प्राप्त हुई।
पूजा ने बताया कि यह सहायता उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण थी। अगर यह योजना न होती, तो उन्हें शादी के लिए कर्ज लेना पड़ता। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई यह योजना वास्तव में समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए वरदान है और इससे आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त होता है।
मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना की शुरुआत वर्ष 2023 में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार द्वारा की गई थी। इस योजना के अंतर्गत अब तक 4100 से अधिक बच्चों को सरकार ने ‘गोद’ लिया है। योजना में अनाथ, अर्ध-अनाथ, विशेष रूप से सक्षम बच्चे, निराश्रित महिलाएं और वरिष्ठ नागरिक शामिल हैं।
योजना के तहत:
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14 वर्ष तक ₹1,000 मासिक
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18 वर्ष तक ₹2,500 मासिक
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27 वर्ष तक ₹4,000 पॉकेट मनी
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उच्च शिक्षा का पूर्ण खर्च, पीजी के लिए ₹3,000 मासिक
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स्टार्ट-अप, घर निर्माण और विवाह के लिए वित्तीय सहायता
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विवाह के लिए ₹2 लाख की सहायता, जिसमें ₹60,000 एफडी के रूप में
यह योजना इन बच्चों के संपूर्ण जीवन को संवारने की दिशा में एक दूरदर्शी प्रयास है।
शिमला के उपायुक्त अनुपम कश्यप ने बताया कि मुख्यमंत्री सुख आश्रय योजना हिमाचल प्रदेश सरकार की सबसे महत्वपूर्ण और मानवीय योजनाओं में से एक है। जिन बच्चों के माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनकी देखभाल अब राज्य सरकार एक अभिभावक की भूमिका में कर रही है।
उन्होंने कहा कि अब तक शिमला जिले में 5 बच्चों को विवाह के लिए सहायता प्रदान की जा चुकी है। शिक्षा, रहने, खाने, पढ़ाई और शादी तक की जिम्मेदारी सरकार उठा रही है, जिससे इन बच्चों को एक बेहतर भविष्य मिल सके।
यह योजना हिमाचल प्रदेश के सामाजिक सुरक्षा तंत्र को एक नई ऊँचाई दे रही है, जिसमें सरकार न केवल बच्चों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी कर रही है, बल्कि उनके आत्मनिर्भर और सम्मानजनक जीवन के लिए मजबूत नींव भी रख रही है।