नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रदेश सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं, जो हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा टीईटी (TET) को पूर्व नियुक्त शिक्षकों के लिए अनिवार्य किए जाने के फैसले के बाद भी अब तक कोई स्पष्ट रुख नहीं अपना सकी है।
उन्होंने कहा कि 1 सितंबर 2025 को दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार, कक्षा 1 से 8 तक के शिक्षकों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे हिमाचल प्रदेश के हजारों शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं, जिनकी नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
जयराम ठाकुर ने बताया कि देश के कई राज्य – जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि – इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिकाएं दाखिल कर चुके हैं, लेकिन हिमाचल सरकार अब तक कोई कदम नहीं उठा पाई है। न तो सुप्रीम कोर्ट में कोई याचिका दायर की गई है और न ही सरकार ने स्थिति को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट किया है।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पूर्व भाजपा सरकार ने पहले भी इन शिक्षकों को नियमित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी थी, जिसके फलस्वरूप लगभग 12,000 शिक्षकों को नियमित किया गया था। अब फिर वही शिक्षक इस नये निर्णय से प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन सरकार की निष्क्रियता चिंताजनक है।
जयराम ठाकुर ने सरकार से मांग की कि वह शीघ्र ही सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करे और शिक्षकों की नौकरी सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए, जिससे प्रदेश में शिक्षण व्यवस्था बाधित न हो।